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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अति महत्वकांक्षी सहज बिजली हर घर सौभाग्य योजना: चतरा में अधिकारियों और बिचैलियों की कमाई का जरिया बना    

     

Vinay Kumar : Reporter
      प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अति महत्वाकांक्षी सहज बिजली हर घर सौभाग्य योजना चतरा में अधिकारियों और बिचौलियों के कमाई का जरिया मात्र बनकर रह गया है। इस योजना के क्रियान्वयन के नाम पर बिजली विभाग के अधिकारी बिचौलियों के माध्यम से मालामाल हो रहे हैं। दरअसल प्रधानमंत्री के इस योजना के तहत गरीबों को ना सिर्फ मुफ्त बिजली कनेक्शन देना है, बल्कि उसके उपयोग को लेकर मुफ्त मीटर, तार, स्विच बोर्ड, होल्डर व बल्ब भी उपलब्ध कराना है। लेकिन चतरा में इस योजना से जुड़े ठेकेदार विद्युत अधिकारियों के सह पर गरीबों को न सिर्फ चूना लगा रहे हैं बल्कि पीएम के सपनों पर भी पानी फेर पर तुले हैं। एक रिपोर्ट....
चतरा के 1295 रेवेन्यू गांवों में विद्युत आपूर्ति प्रमंडल को प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना "शौभाग्य" के तहत गरीब परिवारों को बिजली उपयोग हेतु मुफ्त बिजली कनेक्शन के साथ-साथ डिजिटल इलेक्ट्रिक मीटर, तार, स्विच बोर्ड, 5 पिन प्लग के अलावे एक-एक एलइडी बल्ब देना है। इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए बिजली बोर्ड ने चतरा के सिमरिया अनुमंडल क्षेत्र स्थित देल्हो इलाके के जांगी पंचायत में आराध्य इंफ़्रा सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को जिम्मेवारी सौंपी थी। लेकिन इस कंपनी ने योजना को धरातल पर उतारने के बजाय अपनी कमाई को ही प्राथमिकता सूची में शामिल कर लिया। एजेंसी के लोगों ने पहले आसपास के गांव में करीब 170 परिवारों के बीच मीटर बांट दिया। उसके बाद मिटर लगाने की कवायद शुरू हुई। इन गांवों में रहने वाले अनुसूचित जाति परिवार के ग्रामीणों को लगा कि अब उनके घर भी रौशन होंगे। लेकिन इसी बीच कम्पनी के लोगों ने मीटर लगाने और कनेक्शन देने के नाम पर अवैध वसूली शुरू कर दी। इतना ही नहीं आराध्या कम्पनी से जुड़े लोगों ने ग्रामीणों से प्रत्येक कनेक्शन डेढ़ से तीन सौ रुपये तक अवैध वसूली भी कर ली। उसके बाद मीटर लगाने का काम शुरू हुआ। लेकिन यहां। ही कंपनी के लोगों ने अपनी चलांकि से कमाई का तरीका निकाल लिया। न तो ग्रामीणों को एलईडी बल्ब दिये गए और न ही बेहतर क्वालिटी का मीटर व अन्य विद्युत उपकरण। घरों में लगाए जा रहे समान के क्वालिटी का अंदाजा आप एजेंसी से जुड़े विद्युत कर्मियों की बातों से ही लगा सकते है। कर्मी खुद स्वीकार कर रहे हैं कि क्वालिटी इतना घटिया है कि लगाने में ही वो टूट जा रहा है। बावजूद किसी तरह टूट फूटे सामान को ही तार से बांध कर लगाया जा रहा है। कर्मियों ने बताया कि ये सामान उन्हें आराध्य कंपनी ने ही लगाने के लिये उपलब्ध कराया है। जो सामान लगाए जा रहे हैं वो लोकल मेड की है। मजे की बात तो यह है कि जब मीडिया की टीम मामले की सूचना पर पड़ताल के लिये पहुंची तो कम्पनी के लोग इधर-उधर भागने लगे। लेकिन उसके बाद भी जब हमने उन्हें रोका और अवैध वसूली का कारण पूछा तो हमारे कैमरे के सामने पहले कर्मियों ने कुछ ग्रामीणों के पैसे लौटाए। जबकि शेष बचे लोगों को बाद में पैसे लाकर लौटा देने की बात कही। इतना ही नहीं भविष्य में ऐसी शिकायत का मौका नहीं देते हुए हमें एजेंसी के एक कर्मी सागर वर्मा ने खबर नहीं दिखाने के लिए रिश्वत तक देने की कोशिश की।
बहरहाल जांगी पंचायत के ग्रामीणों को तो पैसे वापस मिल गए। लेकिन इस बात का बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब एक छोटे से पंचायत में आराध्या कंपनी के द्वारा बिजली विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से इतने बड़े पैमाने पर योजना के नाम पर अवैध वसूली की गई है तो जिले भर के विभिन्न गांव की क्या स्थिति होगी। ऐसे में आराध्या जैसी कंपनियों और बिजली विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ना सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के ग्रामीण विद्युतीकरण के सपने चकनाचूर हो जाएंगे बल्कि भ्रष्टाचार की दलदल में भी अति महत्वाकांक्षी योजनाएं दम तोड़ती नजर आएंगे। क्यूंकि इस मामले में चतरा विद्युत आपूर्ति प्रमंडल प्रोजेक्ट के कार्यपालक अभियंता राजेश मिश्रा की भी भूमिका इस पूरे प्रकरण में संदिग्ध है। वे कार्रवाई के बजाय एजेंसी के लोगों को ही बचाते नजर आते हैं।
 हालांकि जब हमने इस मामले से जिले के उपायुक्त जितेंद्र कुमार सिंह को अवगत कराया तो उन्होंने जांच कराकर न सिर्फ दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई का आश्वासन दिया। बल्कि सिमरिया एसडीओ दीपू कुमार को हमारे मौजूदगी में ही मामले के जांच का आदेश दिया।

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