वैक्सीन हम नॉर्मल लोगों को देते हैं न कि बीमार और किसी भी अंतिम स्टेज के मरीज को ... Read More

वैक्सीन हम नॉर्मल लोगों को देते हैं न कि बीमार और किसी भी अंतिम स्टेज के मरीज को इसलिए जरूरी है कि वैक्सीन की क्वालिटी और सेफ्टी को पूरी तरह से टेस्ट किया जाए: भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) प्रोफेसर के. विजय राघवन


   किन-किन तरह के वैक्सीन बन सकते हैं-1. mRNA वैक्सीन वायरस के जेनेटिक मेटिरियल को ही लेकर जब आप इन्जेक्ट कर लेते हैं। 2. स्टैंडर्ड वैक्सीन जो वायरस के कमजोर वर्ज़न को लेकर बनाया जाता है पर उससे बीमारी नहीं फैलती.

3. किसी और वायरस की बैकबोन में कोरोना के वायरस की प्रोटीन कोडिंग को लगाकर के वैक्सीन बनाया जाता है। 4.वायरस का प्रोटीन लैब में बनाकर उसको एक किसी दूसरे स्टीमुलस के साथ लगाया जाता है। ये चार तरह के वैक्सीन सब लोग बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

वैक्सीन हम नॉर्मल लोगों को देते हैं न कि बीमार और किसी भी अंतिम स्टेज के मरीज को इसलिए जरूरी है कि वैक्सीन की क्वालिटी और सेफ्टी को पूरी तरह से टेस्ट किया जाए.
साधारणतः वैक्सीन 10-15 साल में बनता है और इसकी लागत 200 मिलियन डॉलर के करीब होती है। अब हमारी कोशिश है कि इसे एक साल में बनाया जाए इसलिए एक वैक्सीन पर काम करने की जगह हम लोग एक ही समय में 100 से अधिक वैक्सीन पर काम कर रहे हैं: भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) प्रोफेसर के. विजय राघवन

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