बीमारी हो तो ऐसी
जब अपनी संस्कृति छोड़ लोग औरो की अपनाए।
तो ऐसी बीमारी का आना जरूरी है।
पैर छुने और नमस्ते कि जगह।
लोग हाथ मिलाए और गले लगाए।
अपनों से ज्यादा गैरो के साथ वक्त बिताए।
तो ऐसी बीमारी का आना जरूरी है।
घर का खाना सड़कों पर फेंके।
और खुद होटल जाके खाए।
हाथ धोने की बजाय टिसू पेपर का प्रयोग करे।
तो ऐसी बीमारी का आना जरूरी है।
पेट के लिए किसान के पास जाए।
और उसे सम्मान भी ना दे ।
पेड़ पौधों को काट कर घर बनाए।
और फिर पेड़ भी ना लगने दे ।
तो ऐसे बीमारी का आना जरूरी है।
खुद अकारण बाहर रहे और।
बेटियों को काम से भी ना निकलने दे।
तो ऐसी बीमारी का आना भी जरूरी है
आप चाहे इसको कितना भी बुरा माने।
मगर जो भारत की संस्कृति की धरोहर से परिचय करवा दे
ऐसी बीमारी का भी जरूरी है।
कवित्री
अंकिता राय(अग्नि)
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