गन्ना विकास विभाग की सक्रियता एवं सख्ती से सहकारी गन्ना विकास समिति लि., शामली

गन्ना विकास विभाग की सक्रियता एवं सख्ती से

 सहकारी गन्ना विकास समिति लि., शामली



   प्रयागराज(राम आसरे),प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा बताया गया कि, सहकारी गन्ना विकास समिति लि. , शामली में अनपेड गन्ना मूल्य खातों में कृषकों का पूर्व वर्षो का काफी बकाया पडा़ था, जिसे जब समितियों द्वारा कृषकों को नगद भुगतान किया जाता था तथा कृषकों की पर्ची खो जाने, पर्ची फट जाने अथवा खाता गलत होने के कारण उनका धन अनपेड गन्ना मूल्य खाते में पड़ा रहा। अनपेड गन्ना मूल्य खाते से धन का भुगतान करते समय कृषक द्वारा अनपेड गन्ना मूल्य के भुगतान हेतु एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जाता है, जिस पर सर्किल के गन्ना पर्यवेक्षक तथा समिति के अनपेड गन्ना मूल्य भुगतान खण्ड के प्रभारी लिपिक व समिति के कोषाध्यक्ष द्वारा रिपोर्ट लगाने के उपरान्त सचिव, गन्ना समिति से अनुमोदन प्राप्त कर कृषकों के खाते में धन स्थानान्तरित किया जाता है। 
उक्त सभी कर्मचारियों का दायित्व होता है कि, अनपेड गन्ना मूल्य भुगतान के समय यह सुनिश्चित कर लें कि, सही कृषक को ही अनपेड गन्ना मूल्य का भुगतान हो परन्तु शामली में कार्यरत रामपाल, तत्कालीन गन्ना पर्यवेक्षक, राजवीर सिंह, तत्कालीन कोषाध्यक्ष एवं कार्यवाहक लेखाकार जितेन्द्र सिंह, स्थायी लिपिक, एवं श्री शौकीन अली, स्थायी लिपिक, जो अनपेड गन्ना मूल्य खण्ड के प्रभारी थे, के द्वारा सांठगांठ कर साजिश रचते हुए कतिपय चहेते कृषकों के बैंक खाते में एक से अधिक बार भेजा गया। इन्ही कर्मचारियों की मिलीभगत तथा तत्समय कार्यरत समिति के सचिवों की पर्यवेक्षणीय लापरवाही वित्तीय नियमों की अनदेखी से रू.82,37,930 सही काश्तकारों के स्थान पर गलत कृषकों के खाते में धन भेजकर गम्भीर वित्तीय अनियमितता करते हुए निजी स्वार्थ की पूर्ति की गयी। 
प्रकरण प्रकाश में आने पर इसकी जाँच करायी गई तथा रामपाल, तत्कालीन गन्ना पर्यवेक्षक, राजवीर सिंह, तत्कालीन कोषाध्यक्ष एवं कार्यवाहक लेखाकार, जितेन्द्र सिंह, स्थायी लिपिक, एवं शौकीन अली, स्थायी लिपिक, रामशंकर, तत्कालीन विशेष सचिव, बेगराज सिंह, तत्कालीन, गन्ना विकास निरीक्षक/सचिव, रिपुदमन, तत्कालीन ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक/सचिव एवं शशिप्रकाश, तत्कालीन गन्ना विकास निरीक्षक/सचिव के विरूद्ध एफ.आई.आर. दर्ज करायी गयी तथा दोषी पाये गये कार्मिकों के विरूद्ध निलम्बन/अनुशासनिक कार्यवाही भी करते हुए विभिन्न स्तर के कर्मचारी/अधिकारी होने के कारण अनुशासनिक कार्यवाही के कम्पोजिट जाच हेतु उप गन्ना आयुक्त, बरेली को जाच अधिकारी नामित किया गया। 
इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा बताया गया कि, गन्ना विभाग की सक्रियता एवं सख्ती तथा जीरो टालरेंस की नीति के तहत कार्यवाही की गई तथा जिन कृषकों के खाते में गलत तरीके से धन भेजा गया था उनके खातें से डिमाण्ड लगाकर वसूली की गयी एवं शेष धन गबन में लिप्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा प्रयास कर कृषकों से नगद जमा कराया गया जिसके फलस्वरूप प्रकरण में सन्निहित वित्तीय क्षति की सम्पूर्ण मूल धनराशि रू.82,37,930 की वसूली हो चुकी है तथा उस पर आगणित ब्याज की धनराशि रू.26,76,758 के सापेक्ष रू.16,43,579 वसूल हो चुका है। 
उक्त प्रकरण में सम्पूर्ण धन की वसूली होने के कारण लिये गये सभी अपचारी कर्मचारी के विरूद्ध कम्पोजिट निर्णय दिनांक 20.11.2020 में दोषी कार्मिकों को अनुशासनिक कार्यवाही में यथोचित दण्ड दिया जा चुका है। 
भूसरेड्डी ने बताया कि, इसी प्रकार अन्य समितियों में भी अनपेड गन्ना मूल्य का भुगतान किसानों को कराने के लिए अभियान अभियान चलाकर अब तक 88,255 गन्ना किसानों को लगभग रू.117 करोड़ की धनराशि का भुगतान कराया गया है। उन्होने बताया कि, गन्ना विभाग द्वारा गरीब गन्ना किसानों को उनका गन्ना मूल्य का पैसा वापस दिलाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है तथा विभाग में किसी भी प्रकार की वित्तीय अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। यदि ऐसा कोई प्रकरण संज्ञान मैं आता है तो ,सम्बन्धित के विरूद्ध उचित दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी।

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