लोग ऑक्सीजन के बिना तड़प तड़प कर मरते रहे हैं
और मोदी जी मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाते रहें
मोदी जी की अदूरदर्शिता लापरवाही और अहंकार की कहानी तथ्यों की जुबानी
कोरोना महामारी 2020 में भारत प्रवेश किया कोरोना से संक्रमित पहला मरीज 31 जनवरी 2020 को केरल में मिला उसके बाद सरकार लापरवाह बनी रहे जब कोरोना देश में तांडव मचाना शुरू किया तो 14 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री जी ने इस महामारी को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया आनन-फानन में केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के समूह का गठन किया गया जिसे महामारी से संबंधित और खासकर ऑक्सीजन से संबंधित कमियों को उजागर करने का दायित्व सौंपा गया था 1 अप्रैल 2020 को केंद्र सरकार द्वारा गठित विशेष अधिकारी समूह ने ऑक्सीजन की कमी की ओर केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था अधिकारियों की समूह ने बैठक के बाद रिपोर्ट सरकार को दी थी इस बैठक में नीति आयोग के सीईओ तथा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे इसमें प्रधानमंत्री कार्यालय गृह मंत्रालय विदेश मंत्रालय कारपोरेट मामलों के मंत्रालय कैबिनेट सचिव सहित भारत सरकार के अनेक विभाग सहित उद्योग जगत के नामी-गिरामी लोग मौजूद थे ।
इस बैठक के 4 दिन बाद औद्योगिक विकास के आंतरिक व्यापार विभाग ने सचिव की अध्यक्षता में 9 सदस्य समिति का गठन किया 1 अप्रैल 2020 को समिति ने ऑक्सीजन की कमी की ओर ध्यान दिलाया था तो देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगभग 2000 था , इसके बाद भारत सरकार का ऑक्सीजन के मामले में आगे कोई करवाई नहीं चली।
सितंबर में कोरोना संक्रमण के मामले में चिंताजनक स्थिति उत्पन्न होने पर स्वास्थ्य विभाग के संसदीय समिति सक्रिय हुई इस संसदीय समिति के चेयरमैन समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद प्रोफेसर रामगोपाल यादव थे समिति ने 16 अक्टूबर 2020 को बैठक की ,समिति ने ऑक्सीजन की उपलब्धता और उत्पादन पर चिंता जाहिर की और भारत सरकार को उत्पादन बढ़ाने का निर्देश दिया।
केंद्र सरकार देशभर में ऑक्सीजन की कमी की मची हाहाकार से आंखें मूंदी रही ,ऑक्सीजन के बिना लोग तड़प तड़प के मर रहे थे और ऑक्सीजन का उद्योगों में उपयोग जारी था दिल्ली उच्च न्यायालय के सख्त निर्देश के बाद भारत सरकार ने 22 अप्रैल 2021 को ऑक्सीजन की औद्योगिक उपयोग पर रोक लगाने का आदेश जारी किया फिर 25 अप्रैल 2021 को राज्यों को निर्देश दिया गया ।भारत ने अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 के बीच 9301 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात किया था जिस से 8 करोड़ 90 लाख की आमदनी हुई थी 2019 में 4514 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात हुआ था जिससे 5 करोड़ पचास लाख रुपए की आमदनी हुई थी विशेषज्ञ और संसदीय समिति के आगाह के बावजूद ऑक्सीजन का भारत से निर्यात पहले के वनीस्पत महामारी काल में दोगुना कर दिया गया 14 मार्च 2020 को ही भारत सरकार ने कोरोना संक्रमण को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया था उसके बाद भी ऑक्सीजन प्लांट लगाने में भारत सरकार ने 8 माह का विलंब किया भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने अधीन एक स्वायत्त संस्था केंद्रीय चिकित्सा सेवा समाज की स्थापना किया संस्था ने 21 अक्टूबर 2020 को ऑनलाइन टेंडर सूचना जारी की इसके तहत देश के 162 जिलों के अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की निविदा आमंत्रित की जिसकी लागत खर्च 201. 58 करोड रुपए का अनुमान लगाया गया लेकिन प्लांट लगाने के लिए राशि का तत्काल आवंटन नहीं हुआ 4 माह बाद जनवरी 2021 में राशि का आवंटन हुआ जिसके कारण 162 में से मात्र 33 ऑक्सीजन प्लांट ही चालू हो पाए फिर भी भारत सरकार इस विकराल समस्या से मुंह मोरी रही दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति में भेदभाव और लापरवाही के कारण भारत सरकार को जमकर फटकार लगाई और अधिकारियों को फांसी पर लटकाने जैसे न्यायालय द्वारा शब्दों का इस्तेमाल करने के बाद देश के प्रधानमंत्री कुंभकरण की नींद से उठे और नए ऑक्सीजन प्लांट लगाने की घोषणाओं की झड़ी लगा दी अक्टूबर 2020 में टेंडर जारी करने के बाद भी राशि जनवरी 2021 में जारी की गई जिसके कारण 162 में से मात्र 33 ऑक्सीजन प्लांट हिल लगे थे फिर भी प्रधानमंत्री जी 25 अप्रैल 2021 को 551 नए ऑक्सीजन प्लांट और 28 अप्रैल को 500 और नए ऑक्सीजन प्लांट लगाने की घोषणा कर दी और घोषणा वीर प्रधानमंत्री होने का उपाधि धारण कर लिया प्रधानमंत्री ने कोरोना पर नियंत्रण के लिए कई अन्य समितियों का भी गठन किया था जिसमें स्वास्थ्य विशेषज्ञों की 20 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन भी किया गया था लेकिन इस टास्क फोर्स की 11 जनवरी से लेकर 15 अप्रैल 2021 तक एक भी बैठक नहीं हुई।
भारत में ऑक्सीजन की उपलब्धता मांग से अधिक है वर्तमान में लगभग 69 सौ मेट्रिक टन प्रतिदिन खपत का अनुमान लगाया गया है और भारत सरकार ने इसे राज्यों को वितरित करने का प्लान बनाया है जबकि भारत में प्रतिदिन 7287 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है 50,000 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का भंडार भारत के पास पड़ा हुआ है फिर भी मूल समस्याओं पर ध्यान नहीं देते हुए भारत सरकार ने ऑक्सीजन आयात कराने का घोषणा किया है ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए जर्मनी से 23 मोबाइल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट का आयात किया जा रहा है 50 हजारमैट्रिक टन ऑक्सीजन भी दुनिया के विभिन्न देशों से आयात किया जा रहा है जबकि भारत में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है कमी अगर है तो ऑक्सीजन टैंकर और सिलेंडर की ।
टैंकर और सिलेंडर की कमी देश के सभी स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा सरकार को बताई जा रही थी लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया देश में उत्पादित ऑक्सीजन को अस्पतालों तक पहुंचाने में विलंब के कारण ऑक्सीजन के बिना लोगों की जाने जा रही है दुनिया के कई देश सहायता के रूप में भारत को ऑक्सीजन टैंकर और सिलेंडर भी उपलब्ध करा रहे हैं लेकिन फिर भी भारत सरकार लगभग 1213 नए ऑक्सीजन प्लांटों को स्थापित करने का प्रयास में ही परेशान है ।
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