बजट से मजदूरों और किसानों पर जानलेवा हमला

बजट से मजदूरों और किसानों पर जानलेवा हमला


वोट की चोट कि भाषा ही भाजपा, आरएसएस और मोदी सरकार समझती है, इसके लिए पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव बिल्कुल ही उपयुक्त समय है।

मजदूरों के जीवन रेखा मनरेगा में 25000 करोड़ रू की कटौती ।

पेट्रोलियम पदार्थों पर ₹2 प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ेगी ।

नौकरी लेने के लिए 25 साल तक इतंजार करना पड़ेगा।

कारपोरेट टैक्स 18 प्रतिशत से घटाकर 15% और कारपोरेट सर चार्ज 12% से घटाकर 7%।



39 लाख 45 हजार करोड़ का 2022- 23 का देश का बजट आज संसद भवन में मोदी सरकार द्वारा पेश किया गया जो देश की जनता के लिए सिर्फ निराशावादी ही नहीं बल्कि पूंजीवादी भी है, देश लगभग 2 वर्षों से कोरोना जैसे महामारी की मार झेल रहा है शहरों से गांव की ओर मजदूरों का किस तरह पलायन हुआ और कितनी जाने रास्ते में पैदल अपने घर पहुंचने के क्रम में गवा चुके मजदूर, मजदूरों को घर में ही काम देने के लिए करोड़ों अरबों रुपए का मोदी सरकार द्वारा विज्ञापन दिया गया था और तरह-तरह के रोजगार योजनाएं की घोषणा की गई और शहरों से लौटे मजदूरों के लिए मनरेगा को संजीवनी बूटी कहा गया महामारी काल में मोदी सरकार ने मनरेगा के राशि में बढ़ोतरी भी की लेकिन आज इस महामारी के दौर में भी क्योंकि देश के अधिकांश राज्यों में महामारी के कारण कई प्रकार का लॉकडाउन लगाया गया है जिसके कारण गरीबों और मजदूरों को काम मिलना मुश्किल हो गया है ऐसे समय में भी मजदूरों को अच्छे दिनों का सपना दिखाने वाली मोदी सरकार मनरेगा के बजट में लगभग 25% यानी कि 25000 करोड रुपए की कटौती की है पिछले वर्ष मनरेगा में मोदी सरकार ने ₹98000 करोड़ रू का प्रावधान किया था रिवाइज स्ट्रीट के साथ लेकिन इस बजट में मात्र ₹73000 करोड़ रू का प्रावधान मनरेगा में मजदूरों के भुगतान के लिए किया गया।
फर्टिलाइजर जोकि किसानों के लिए संजीवनी है सब्सिडी भी गरीबों के लिए जीवनदायिनी है लेकिन इस बजट में फर्टिलाइजर एवं खाद्य सब्सिडी में 40हजार करोड़ रुपए की कटौती मोदी सरकार ने करके किसानों पर जानलेवा हमला ही किया ।
देश और दुनिया में पुरजोर ढंग से यह बहस चल रही है कि जिस प्रकार पूंजीपतियों की आय में महामारी के बावजूद भारी भारी भरकम वृद्धि हो रही है यदि कुछ प्रतिशत सर चार्ज और टैक्स बढ़ा दिया जाए तो गरीबों मजदूरों के लिए बहुत सारे कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा सकती है जिससे भुखमरी और कुपोषण से गरीब और मजदूर को निजात मिल सकती है लेकिन इस बजट में मोदी सरकार ने कारपोरेट टैक्स में भी कटौती की है कारपोरेट टैक्स 18% था जिसे घटाकर 15% कर दिया गया कारपोरेट सरचार्ज 12% था जो घटाकर 7% कर दिया गया। पेट्रोलियम पदार्थों पर पहले से ही 33 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी सरकार ले रही थी जिसे इस बजट में ₹2 प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी और वृद्धि करने की घोषणा की है ।
सरकार ने बजट में घोषणा किया है आगामी 25 वर्षों में 60 लाख नई नौकरियां दी जाएगी कहां 2014 में प्रतिवर्ष दो करोड़ नौकरी देने का वादा करने वाली मोदी सरकार देश के 14 करोड़ लोगों को रोजगार छीन ली, देश के 84% लोगों की आय में 53% की कमी आई है अरबपतियों की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है 2020 में अरबपतियों की संख्या 102 थी जो 2021 में बढ़कर 142 हो गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कह रहे हैं कि यह बजट एक सौ सालो के लिए दिशा दिखाने वाला है यानी की 2022- 23 के बजट के लाभ लेने के लिए हमें एक सौ साल तक जिंदा रहना पड़ेगा ।
महंगाई चरम सीमा पर है लेकिन महंगाई कम करने का कोई भी प्रावधान इस बजट में नहीं है।
कुल मिलाकर यह बजट अमीरों के लिए फायदेमंद गरीब ,मजदूर और किसानों के लिए निराशाजनक है।
मनोहर कुमार यादव
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी पार्टी झारखंड।

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