पूर्वजों की कुर्बानी और बलिदान को किसी हाल में जाया नहीं जाने देंगे,अंतिम दम तक लङेंगे : आजम अहमद

 

आदिवासी - मूलवासी संगठनो ने किया 

विधान सभा का घेराव










आज 14 मार्च 2022 को झारखंड समन्वय समिति सहित विभिन्न आदिवासी -मूलवासी संगठनों के द्वारा विधान सभा घेराव संपन्न हुई* l *विधान सभा घेराव का नेतृत्व पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव प्रदेश अध्यक्ष अखिल (भारतीय आदिवासी विकास परिषद ) पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो, झारखंड निर्माण के अग्रणी आंदोलनकारी पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा, पूर्व विधायक अमित महतो, (आदिवासी जन परिषद) के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा, (केंद्रीय सरना समिति) अध्यक्ष बबलू मुंडा, अभय भूट कुवर ( आदिवासी लोहरा समाज),शिव टहल नायक (दलित संघर्ष समिति,)आजम अहमद ( झारखंड आंदोलनकारी)कुंदरशी मुंडा*, यादि खतियान आधारित स्थानीय नीति,स्थानीय, नियोजन नीति,उद्योग नीति, भाषा नीति आदिवासी मूलवासी छात्र नौजवानों को नौकरी के साथ-साथ का ठिका पट्टा और व्यापार में भागीदारी की मांग सुनिश्चित करने हेतु सभी नेतागण सामूहिक नेतृत्व में सड़क पर उतरे और विधान सभा घेराव किया गया l यह विधान सभा मार्च हरमू मैदान से शुरू होकर विधानसभा तक पंहुचा l
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि झारखंड के निर्माण के लिए हमारे पुरखा लोग लडे,परंतु झारखंड में ना बेरोजगारों को नौकरी मिल रही है न हीं कारोबार में भागीदारी दिया जा रहा है इतने आंदोलन होने के बावजूद भी हेमंत सरकार तानाशाह की तरह काम कर रही है झारखंड के सवालों को लेकरआने वाले समय में इनको भुगतना पड़ेगा जानता इनको जवाब देगी l हम लोग किसी भी कीमत पर बाहरी भाषा, संस्कृति को बर्दाश्त नहीं करेंगेl चाहे इसके लिए हमें कोई भी आहुती ही देना क्यों न पड़ेगा हम लोग देंगे l विधानसभा सत्र में कोई भी निर्णय नहीं लिया जाता है तो सभी संगठन के प्रतिनिधियों और बुद्धिजीवओ के साथ मिलकर व्यापक बैठक कर आगे की रणनीति तय किया जाएगा l यह संघर्ष रुकेगा नहीं आखरी दम तक लड़ते रहेंगे l
पूर्व विधायक अमित महतो ने कहा कि मैंने झारखंड की जन भावनाओं को लेकर सरकार काम नहीं कर रही थी इसलिए मैंने पार्टी से इस्तीफा देकर मैंने खतियान आधारित स्थानीय नीति की मांग को लेकर कूद पड़ा और जब तक झारखंड में खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू नहीं होता है तब तक झारखंड राज्य के कोने कोने में जाकर के जनता को बताएंगे और मेरा अंतिम दम तक संघर्ष जारी रहेगाl
पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कहा कि झारखंड को उपनिवेशवाद बना दिया गया सरकार का कंट्रोल बाहरी शक्तियों के पास है झारखंड की जनता में खूब आक्रोश है l ऐसे जनविरोधी सरकार नहीं सुनती है ,हम लोग भी चुप नहीं बैठेंगेl झारखंड के अधिकार के लिए एकमात्र रास्ता रह गया है जन संघर्ष l
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सूर्य सिंह बेसरा ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि 21 वर्षों में सिर्फ और सिर्फ बाहरियों का विकास हुआ है l यहां का मुख्यमंत्री भाषा संस्कृति के साथ-साथ झारखंड के बालू खनिज संपदा को पूरी तरह से बेच दिया है l हम लोगों ने लंबे संघर्ष के बाद झारखण्ड राज्य हम लोगों ने लड़ के लिया था परंतु गुरु जी के पुत्र हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य को 21वर्ष में हाशिए पर ला दिया इसलिए राज्य में एक नया विकल्प की आवश्यकता है राजनीतिक विकल्प के बिना झारखंड के विकास रास्ते पर नहीं जा सकता इसलिए साथियों राज्य मे राज्य में 1932 का खतियान आधारित और आंध्र प्रदेश की तर्ज पर सविधान के अनुच्छेद 371 के आधार पर स्थानीय नियोजन नीति बनाया जाये l
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों ने झारखंड के भाषा ही नहीं बल्कि यहां की सांस्कृतिक विरासत को भी समाप्त कर दिया है l राज्य में आदिवासी मूलवासी- छात्र नौजवान नौकरी न मिलने के कारण तिलमिला गए हैंl झारखंड कोई एक व्यक्ति का जागीर नहीं है l अलग राज्य के कई ऐसे योद्धा हैं जिन्हों ने अलग राज्य के निर्माण में आहुति दी है l आज राज्य में सभी विकास के मामले ठप है l
झारखंड के छात्र नौजवान और आदिवासी -मूलवासी समाज के लोग जब तक स्थानीय नियोजन नीति लागू नहीं होता है तब तक अपना संघर्ष जारी रखें l इस सरकार में आए दिन नीतिगत फैसले बाहरी के लिए किया जा रहा है l इसके लिए हम लोग किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे l आदिवासी जन परिषद हेमंत सोरेन से मांग करती है कि अविलंब राज्य के हित के लिए खतियान आधारित अस्थाई नीति बनाया जाए l क्योंकि स्थानीय नीति कृषि नीति खेल नीति भाषा नीति के आभाव में राज्य के छात्र -नौजवान, मजदूर किसान पलायन करने को मजबूर है l
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि आखिर हम लोग कितना लड़े हेमंत सरकार आदिवासी होकर भी आदिवासी मूलवासियों के हित में काम नहीं कर रही है यह झारखंड के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सरकार झारखंड के सवालों को लेकर जैसे स्थानीय नीति स्थानीय /नियोजन नीति,भाषा नीति,उद्योग नीति पर चर्चा एकदम नहीं करती है यह सरकार जनविरोधी अफसर, दलाल, बिचौलियों के द्वारा घिरे हुए है इसलिये हम लोगों को संघर्ष तेज करने की आवश्यकता है l

पूर्वजों की कुर्बानी और बलिदान को किसी हाल में जाया नहीं 

जाने   देंगे,अंतिम दम तक लङेंगे : आजम अहमद 


मौके पर आजम अहमद ने कहा पूर्वजों की कुर्बानी और बलिदान को किसी हालत में जाया जाने नहीं देंगे जल जंगल जमीन और नौजवानों के भविष्य के लिए पूर्वजों की लड़ाई को अंतिम दम तक लड़ेंगे जब तक 1932 का खतियान या अंतिम सर्वे के खतियान पर आधारित नीति लागू नहीं होगा। आज सरकार को इतिहास पुरुष बनने का मौका मिला है आंदोलनकारी के कोख से जन्मे हेमंत सोरेन झारखंड की नीति संस्कृति और अधिकार से झारखंडियों को वंचित रखा तो दोबारा मौका शायद कभी इतिहास पुरुष बनने का नहीं मिलेगा ,इसलिए विधानसभा सत्र में ही 1932 के खतियान /अंतिम सर्वे के आधारित नीति बने और नियोजन और स्थानीयता झारखंडियों को देने का काम करें।

अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के ग्रामीण अध्यक्ष कुंदरशी मुंडा ने कहा कि अभी लड़ाई बाकी है l हमको जनता के बीच जा जा कर के और भी जागरूक करने की आवश्यकता है इसलिए सभी सामाजिक संगठन एक मंच पर आएं l और संघर्ष को तेज करें l
इस कार्यक्रम में तीर्थ नाथ आकाश,कुंदरसी मुंडा,विकास महतो,आजम अहमद, महान पुरोहित जगलाल पाहन देवेंद्र महतो, पवन तिर्की,निरंजना हेरेज टोप्पो ,सुबोध दांगी, अभय भुट कुंवर,सोमदेव करमाली, संजय मेहता,मनोज यादव शिव टहल नायक,लाला महाली, सुरेंद्र लिंडा,मुकेश भगत,प्रदीप कच्छप प्रीतम लोहरा,दुर्गा कच्छप सेलिना लकड़ा,सुप्रिया कच्छप अमर मुंडा, प्रेम लिंडा, बिकाश सांगा, अनिल उरांव कच्छप,संकुंतला उरांव, सुरेश मुंडा,अशोक मुंडा,राजू मुंडा नायक प्रवीन कच्छप ,यादि ने सम्बोधित किया l
उक्त आशय की एक प्रेस विज्ञप्ति प्रेम आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा ने जारी करते हुए यह जानक जारी दी है।

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