आदिवासियों को सरना धर्म विरासत में मिला है :सबलू मुंडा

आदिवासियों को सरना धर्म 

विरासत में मिला है :सबलू मुंडा




सरना धर्मावलंबियों को प्रकृति की अद्भुत शक्ति अब मां चाला के रूप में साक्षात दर्शन दे रही हैं, इसी क्रम में रांची स्थित चडरी गांव में दस दिनों तक श्रीमती प्रिया तिर्की पति श्री आनन्द तिर्की के घर में मां विराजमान रही जिसे उनके परिजन सहित अन्य सरना समुदाय के आगंतुक लोगों ने दर्शन और पूजा अर्चना कर रहे थे ।
इस उपलक्ष्य में आज ग्यारहवें दिन चडरी सरना समिति के पूजा अध्यक्ष श्री सबलू मुंडा एवं राजन तिर्की की अगुवाई में सरना समुदाय के सैंकड़ों लोगों ने कोनका स्थित सरना स्थल में जल चढ़ाकर पूजा अर्चना सम्पन्न किया तत्पश्चात सूंड़ी भात के रूप में प्रसाद ग्रहण किया ।
श्री सबलू मुंडा ने कहा कि आदिवासियों को सरना धर्म विरासत में मिला है और इसे संजोकर रखने की आवश्यकता है, पूर्वजों द्वारा स्थापित पारंपरिक रीति रिवाज को आनेवाली वंशजों को विद्यमान रखने की आवश्यकता है, सबसे बड़ी बात यह है कि दूसरे समुदायों के द्वारा विभिन्न प्रकार के कुत्सित प्रयास के बावजूद आज भी सरना धर्म इस धरती पर जिंदा है और फल फूल रहा है , और आदिवासियों की धार्मिक रीति रिवाजों की वजह से ही प्रकृति बची हुई है ।
इस धार्मिक कार्यक्रम से सरना समुदाय के लोगों में हर्षोल्लास का माहौल है ।
इस पूरे कार्यक्रम में सर्वश्री सबलू मुंडा , शंकर लिंडा, राजन तिर्की, आनन्द तिर्की, मदन तिर्की, सूरज मुंडा, सुरेन्द्र लिंडा, सागर भगत, आकाश मुंडा, अप्पू लिंडा, विक्की मुंडा ,एतवा उरांव, सीटू लोहरा, सुश्री सुधा मिंज, रूमी लिंडा, खुशबू हेमरोम , खुशबू मुंडा, सुष्मिता मुंडा , श्वेता मुंडा व अगल बगल के गांवों के श्रद्धालु उपस्थित रहे , इस पूरे कार्यक्रम में चडरी गांव के पाहन श्री जग्गू पाहन तथा कोनका की पहनाइन श्रीमती परनो किस्पोट्टा की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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