एससी, एसटी के लिए पुनर्वास योजना लागू, हाईकोर्ट ने पीआईएल का किया निस्तारण

एससी, एसटी के लिए पुनर्वास योजना लागू, 

हाईकोर्ट ने पीआईएल का किया निस्तारण




जयपुर, 26 फ़रवरी (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने एससी, एसटी वर्ग के पीडितों के पुनर्वास के लिए बनाई योजना को रिकॉर्ड पर लेते हुए इस संबंध में दायर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश दलित मानवाधिकार केन्द्र समिति की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पुनर्वास योजना की कॉपी पेश कर कहा गया की गत 19 फरवरी को इस योजना का गजट नोटिफिकेशन कर इसे लागू कर दिया है। योजना के तहत एससी, एसटी वर्ग के पीडितों के लिए तत्काल उच्च गुणवत्ता युक्त चिकित्सा सुविधा, निशुल्क खाद्य सामग्री का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा यदि पीडित पक्ष कृषि करना चाहता है और कुल वार्षिक आय साठ हजार रुपए से कम है तो उसे दो बीघा जमीन संबंधित कलेक्टर निशुल्क आवंटित करेंगे। वहीं पीडित की संतान को स्नातक स्तर तक निशुल्क शिक्षा देने की भी व्यवस्था की गई है। इसके अलावा दो लाख रुपए तक का ब्याज मुक्त लोन, राशन की दुकान, डेयरी बूथ आवंटन सहित मृतक व्यक्ति के आश्रितों को मासिक पांच हजार रुपए के साथ महंगाई भत्ता आदि का भी पुनर्वास योजना में प्रावधान किया गया है।

गौरतलब है कि गत सुनवाई को अदालत ने पुनर्वास योजना के नियम वर्ष 2017 में ड्राफ्ट होने के बाद भी उन्हें अब तक अंतिम रूप नहीं देने पर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव को पेश होने को कहा था। याचिका में अधिवक्ता सतीश कुमार ने बताया कि एससी,एसटी एक्ट के नियम 15 के अनुसार पुनर्वास योजना पीडित और उनके आश्रितों को तत्काल वित्तीय सहायता सहित अन्य राहत व पुनर्वास के लिए बनी थी। योजना के नियम वर्ष 2017 में बने थे, लेकिन छह साल बाद भी इनका गजट में प्रकाशन होकर ये नोटिफाइड नहीं हुए हैं। इससे योजना पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है और इसका लाभ भी पीडित को नहीं मिल पा रहा है। वहीं एससी, एसटी वर्ग के लिए बनाई गए इस योजना के लागू नहीं होने से इन्हें बनाने का उद्देश्य विफल हो रहा है। इसलिए योजना के नियम नोटिफाइड कर योजना का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए।

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