माननीय राज्यपाल-सह-
झारखण्ड राज्य के विश्वविद्यालयों
के कुलाधिपति का राँची विश्वविद्यालय,
राँची के दीक्षांत समारोह के
अवसर पर अभिभाषण
उपस्थित कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा, सीनेट, सिंडिकेट और अकादमिक परिषद के सदस्यगण, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, गणमान्य अतिथिगण, शिक्षक व कर्मीगण, प्रिय विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों, प्रेस व मीडिया के साथियों और मेरे भाइयों-बहनों!
जोहार! नमस्कार!
1. राँची विश्वविद्यालय के 38वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में मैं आप सभी का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। मैं इस अवसर पर उपाधि ग्रहण करने वाले सभी विद्यार्थियों/शोधार्थियों को हार्दिक बधाई देता हूँ। अभिभावक और समर्पित शिक्षकगण भी बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने आपको निरंतर मार्गदर्शन और प्रेरणा देने का कार्य किया।
2. यह केवल एक दीक्षांत समारोह नहीं, बल्कि आपके परिश्रम और समर्पण का उत्सव है। वर्षों की मेहनत, संघर्ष और असंख्य सपनों की यह परिणति है। यह आपके साथ पूरे विश्वविद्यालय के लिए गर्व का क्षण है। यह अवसर केवल आपकी उपलब्धियों का उत्सव नहीं, बल्कि आपके भविष्य की दिशा तय करने का भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
3. राँची विश्वविद्यालय राज्य का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है तथा इसका गौरवशाली इतिहास रहा है। यह केवल ज्ञान का केंद्र ही नहीं, बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक मूल्यों का संरक्षक भी है। इस विश्वविद्यालय ने कई महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद, कानूनविद, प्रशासक, पुलिस अधिकारी, साहित्यकार और समाजसेवी देश को दिए हैं। मुझे विश्वास है कि आप भी इस परंपरा को आगे बढ़ाएँगे तथा अपने साथ इस विश्वविद्यालय, राज्य एवं देश का नाम रोशन करेंगे।
4. शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं है। यह जीवन को सही दिशा देने और समाज के प्रति संवेदनशील बनने की प्रक्रिया है। शिक्षा हमें सोचने, प्रश्न पूछने और नवाचार करने की प्रेरणा देती है। हमारा ज्ञान तभी सार्थक है, जब उससे समाज को लाभ पहुँचे। चरित्र निर्माण, नैतिकता और सेवा भावना को शिक्षा का मूल मंत्र बनाते हुए हमें आगे बढ़ना है।
5. मैं अक्सर दीक्षांत समारोहों में देखता हूँ कि स्वर्ण पदक विजेताओं की सूची में हमारी बेटियाँ आगे रहती हैं। यह हमारी बेटियों के बढ़ते आत्मविश्वास, कड़ी मेहनत और सशक्तिकरण का जीवंत प्रमाण है। आज की बेटियाँ हर क्षेत्र में अपने कौशल, संकल्प और प्रतिभा से नई मिसाल पेश कर रही हैं। यह दृश्य उन पुरानी सोच और रूढ़ियों को तोड़ता है, जो कभी महिलाओं को शिक्षा और प्रगति से वंचित रखने के पक्षधर थे।
6. माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान ने बेटियों के लिए शिक्षा और आत्मनिर्भरता के नए द्वार खोले हैं। कल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस भी है। इस शुभ अवसर पर मैं आप सभी बेटियों को अग्रिम शुभकामनाएँ देता हूँ और कामना करता हूँ कि आप जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के नए आयाम स्थापित करें और अपने सपनों को साकार करें।
7. आज का युग नवाचार और शोध का है। झारखंड की धरती संसाधनों से भरपूर है, पर हमें इन संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना सीखना होगा। अनुसंधान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित न रहे, बल्कि स्थानीय समस्याओं के समाधान के लिए भी हो। पर्यावरण संरक्षण, जल प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि विकास जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान की अपार संभावनाएँ हैं। मैं चाहता हूँ कि रांची विश्वविद्यालय इन क्षेत्रों में नई ऊँचाइयाँ प्राप्त करें तथा अन्य विश्वविद्यालयों के लिए अनुकरणीय बनें।
8. विज्ञान, प्रौद्योगिकी, समाजशास्त्र और मानवीकी में गहन शोध के साथ स्थानीय संसाधनों और समस्याओं पर अनुसंधान हमारी प्राथमिकता है। शोध का स्तर मौलिक एवं उच्च हो, मात्र copy-paste न हो, शोध में विद्यार्थियों की मौलिक भावना सामने आने चाहिए। विद्यार्थियों को ‘हरित क्रांति’ और ‘नवीकरणीय ऊर्जा’ जैसे विषयों पर शोध करना चाहिए। हर्ष का विषय है कि राँची विश्वविद्यालय जनजाति समाज, वन्य जैवविविधता, पारंपरिक चिकित्सा, खनिज विज्ञान और लोकसंस्कृति की दिशा में कार्य कर रहा है।
9. माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश नए आयाम स्थापित कर रहा है। उनके 'न्यू इंडिया' के संकल्प ने शिक्षा, नवाचार और आत्मनिर्भरता को एक नई दिशा दी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी इसी दृष्टि का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान, कौशल विकास और शोध में उत्कृष्टता की ओर अग्रसर कर रही है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि रांची विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी इस बदलाव के सशक्त वाहक बनेंगे और झारखंड को शिक्षा और नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी बनाएँगे।
10. आज भारत वैश्विक मंच पर अपनी विशिष्ट पहचान बना रहा है। चंद्रयान-3, आदित्य-L 1 जैसी सफलताएँ हमारे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का परिणाम हैं। यह सब दिखाता है कि अगर संकल्प मजबूत हो, तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं। 'विकसित भारत' का सपना केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक संकल्प है — एक ऐसा संकल्प, जिसे साकार करने की ज़िम्मेदारी हमारे युवाओं पर है। देश को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में हमारे विश्वविद्यालयों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमारे युवा अपनी ऊर्जा, रचनात्मकता और दृढ़ निश्चय से देश को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकते हैं।
11. झारखंड की हरियाली और प्राकृतिक संसाधन हमारी सबसे बड़ी पूँजी हैं। हमें इनका संरक्षण करना होगा। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हमें नए समाधान तलाशने होंगे। जंगल केवल लकड़ी या खनिज का स्रोत नहीं, बल्कि जीवन का आधार हैं। हमें इन संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना सीखना होगा ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनका लाभ उठा सकें।
12. झारखंड की वीर भूमि ने कण – कण से रणबांकुरों को जन्म दिया है, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। चाहे वे धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा हों, सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो हों या नीलांबर-पीतांबर, शेख भिखारी, टिकैत उमरांव सिंह हों या जतरा टाना भगत या तेलंगा खड़िया—इन सभी वीरों ने अंग्रेजी हुकूमत और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष किया। इनका बलिदान केवल इतिहास नहीं, बल्कि सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
13. हमारे इतिहास में कई महान विभूतियाँ हैं, जिन्होंने संघर्षों के बीच मार्ग प्रशस्त किया। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा ने अन्याय के खिलाफ विद्रोह किया। स्वामी विवेकानंद ने आत्मनिर्भरता और राष्ट्रसेवा का संदेश दिया। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने संघर्षों के बीच भी सपनों को साकार किया। इनसे हमें सीखना होगा। इन विभूतियों के जीवन में केवल संघर्ष ही नहीं, बल्कि दूरदृष्टि और आत्मशक्ति का अद्भुत समन्वय भी था। हमें उनके आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करना होगा।
14. जीवन में चुनौतियाँ आएँगी। असफलता भी मिलेगी। लेकिन जो गिरकर उठता है, वही विजयी होता है। मैं यहाँ कहना चाहूँगा :
“ तन को कर पाषाण तू और श्वास को ज्वाला बना ,
भाग्य के बल पर न जी , तू खुद ही अपना रथ चला।“
ये वक्त है सूचना का, ज्ञान का। कलम की ताकत, तकनीक की ताकत पहचानने का। आपके हाथों में डिग्री है, ये कलम की ताकत से आपने ली है। आगे राष्ट्रकवि दिनकर की पंक्तियों को कहना चाहूँगा :
“ कलम देश की बड़ी शक्ति है भाव जगाने वाली ,
दिल की नहीं , दिमागों में भी आग लगाने वाली
पैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे ,
और प्रज्वलित प्राण देश क्या, कभी मरेगा मारे ?”
इसलिए, निडर बनें। अपने सपनों के पीछे पूरी शक्ति से लग जाएँ। सफलता केवल भाग्य से नहीं मिलती, बल्कि निरंतर परिश्रम और समर्पण से प्राप्त होती है। आत्मविश्वास और समर्पण के बिना कोई भी बड़ा लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता।
15. अंत में, मैं सभी विद्यार्थियों, अभिभावकों को पुन: हार्दिक बधाई देता हूँ। मेरा अनुरोध होगा कि झारखंड के गौरवशाली इतिहास को हमेशा याद रखें। अपनी जड़ों से जुड़े रहें। अपनी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करें। आगे बढ़ें और लक्ष्य प्राप्त करें। मेरा आशीर्वाद सदैव आप सभी के साथ है।
जय हिंद! जय झारखंड!
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