धनतेरस के दिन भूलकर भी वाहन ना खरीदें - स्वामी दिव्यानंद

धनतेरस के दिन भूलकर भी

 वाहन ना खरीदें - स्वामी दिव्यानंद





लोहा, चमड़ा, कांच, स्टील, नुकीली वस्तु जैसे छुरी, कैंची एवं तेल इत्यादि शनि के कारक वस्तु हैं, शनिवार के दिन इन वस्तुओं को घर में लाना शनिदेव नाराज हो सकते हैं, धनतेरस के दिन लक्ष्मी प्रसन्नता से संबंधित चीजों वस्तुओं को ही लाना शुभ कर है जैसे सोने चांदी तांबा पीतल कांसे के बर्तन मूर्ति सिक्के वगैरह।

समाज में एक दूसरे की देखा-देखी एवं ज्ञान की कमी के कारण धनतेरस के दिन वाहन खरीदने का भूल प्रचलन हो पड़ा है।

धनतेरस के दिन बर्तन खरीद कर जब घर में लाएं, तो उसमें मिष्ठान भी खरीदे और उस बर्तन में मिठाई रखकर ही घर लाएं, स्मरण रहे, खाली बर्तन घर पर नहीं लाना चाहिए।

धनतेरस के दिन महालक्ष्मी कुबेर एवं धनवंतरी की पूजा स्थिर लग्न में करें

बृश्चिक लग्न - 08.35 से 10.51 प्रातः

बृषभ लग्न - 07.21 से 09.16 संध्या

सिंह लग्न - 01.49 से 04.02 रात्रि

प्रदोष काल में शिवजी को गंगाजल, गन्ने का रस, कुशा, तेल एवं इत्र अर्पित करें।

यमदीया - प्रदोष काल में महालक्ष्मी कुबेर एवं धनवंतरी की पूजा के पश्चात यम को दीपदान करें - आटे गूंधकर चौमुखी दिया का निर्माण करें, सरसों तेल से दिया जलाएं, घर के दक्षिण दिशा की ओर दीपक को रखना चाहिए, स्थान को गोबर से लीपकर, कालेतिल रखकर उसके ऊपर दीपक रखा जाना चाहिए।

दीपावली में पांच महापर्व की विशेषता है, धनतेरस, छोटी दीपावली, मुख्य दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज।

सनातनी श्रद्धालुओं को इन पांचो दिन में दीपदान करने का है, अपनी शक्ति एवं सामर्थ्य के अनुसार दीपमाला सजाई जानी चाहिए।

दीपावली का पूजा लग्न

प्रदोष काल - संध्या 05.36 से 08.11

स्थिर लग्न :--

बृश्चिक लग्न - 08.23 से 10.39 प्रातः

बृषभ लग्न - 07.09 से 09.04 संध्या

सिंह लग्न - 01.37 से 03.50 रात्रि

18 को त्रयोदशी - अपराह्न 12.18 से

19 को चतुर्दशी - अपराह्न 01.52 से

20 को अमावस्या - दोपहर - 03.45 से

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