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आपके विचार और टिप्पणी आम जनता के अवलोकनार्थ प्रस्तुत किया जा रहा है :

     झारखण्ड की राजधानी रांची में कोरोना काल में हुए लम्बे लाॅकडाउन की वजह से 80 प्रतिशत बच्चों के मध्य वर्गीय अभिभावकों की आर्थिक कमर टूट गई है इस क्रम में झारखण्ड, एवं रांची राजधानी के निजी स्कूलों द्वारा बंद अवधि के तीन माह का फीस एवं अनुएल चार्ज एक मोटी रकम की अदायगी के लिए अभिभावकों को मैसेज सह नोटिस दिया जा रहा है। इससे मध्य वर्ग के अभिभावक भारी दबाव में हैं और परेशान हैं, बात प्रदेश के शिक्षा मंत्री तक पहुंची परन्तु शिक्षा मंत्री के अनुसार हीं निजी स्कूल वाले उनका उनकी बात नहीं मान रहे हैं। इस क्रम में हमने रांची शहर एवं आसपास के लोगों से निजी स्कूलों द्वारा बंद अवधि की फीस मांगे जाना कितना उचित कितना अनुचित पूछा है इसी क्रम में कुछ लोगों ने अपने विचार सह टिप्पणी न्यूज 20 को प्रेषित किया है जिसे यहां क्रमवार आज से प्रकाशित किया जा रहा है .

इस वैश्विक महामारी में हर तबके के लोग परेशान हैं सरकार मजबू कदम उठाए % बब्लू मुण्डा  

     




     इस वैश्विक महामारी में  हर तबके के लोगों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। हर तरह से लोगों को परेशानी का सामना करना पढ़ रहा है ऐसी स्थिति में राज्य सरकार की जिम्मेवारी होती है । इस स्थिति में राज्य सरकार को आगे आकर एक मजबूत कदम उठाने की जरूरत है ताकि लोगों के ऊपर किसी तरह का दबाव या परेशानी ना हो :  बबलू मुंडा (अध्यक्ष )केंद्रीय सरना समिति



सभी स्कूल को अभिभावक को मदद करना चाहिए: मनोज कुमार अग्रवाल


‘‘मेरे विचार से कोरोना महामारी और लाॅकडाउन लम्बे काल को देखते हुए झारखण्ड के निजी स्कूलों को थोड़ी रियायत, रहम और राहत करनी चाहिए अभिभावकों पर क्योंकि 80 प्रतिशत मध्यवर्गीय अभिभावक इस कोरोना काल में आर्थिक तंगी के कगार पर हैं ’’ः मनोज कुमार अग्रवाल, झारखण्ड गरीब दुखी विकास मंच रांची । दूसरी ओर श्री अग्रवाल ने कहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जी के प्रयास से जिस तरह प्रवासी मजदूरों को देश और विदेश से घर वापसी लाया जा रहा है यह एक सराहनीय कार्य है इसके लिए मुख्यमंत्री जी का जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
  


   80 प्रतिशत लोगों की कमाई मार खा चुकी है: इसलिए फीस माफ हो 

   


‘‘देश के साथ-साथ झारखण्ड में भी कोरोना महामारी का प्रभाव पड़ा है इसकी वजह से 80 प्रतिशत लोगों की कमाई मार खा चुकी है ऐसे में तीन माह का फीस और मोटी रकम ऐनुअल चार्ज के रूप में निजी स्कूलों को दिए जाने में अभिभावक सक्षम नहीं हैं इसलिए निजी स्कूल स्वयं पहले करते हुए राहत देः रेहान, रांची झारखण्ड’’



लाॅकडाउन बंद अवधि का एक साथ फीस लेना निजी स्कूलों का उचित नहीं: विक्की खान, कांग्रेस सेवा फाउंडेशन झारखण्ड कोकोडिनेटर, झारखण्ड प्रदेश 

   




‘‘60 दिनों से भी अधिक समय से चल रहे लाॅकडाउन की वजह से झारखण्ड में 80 प्रतिशत लोगों का कारोबार और कमाई ठप है स्थितियां खराब है, ऐसे में निजी स्कूलों द्वारा बंद अवधि का फीस एवं अन्य शुल्क मोटी रकम के तौर पर मांग किया जाना उचित नहीं है बल्कि निजी स्कूल स्वयं पहल करते हुए अभिभावकों और बच्चों को राहत और रियायत दें: विक्की खान, कांग्रेस सेवा फाउंडेशन झारखण्ड कोकोडिनेटर, झारखण्ड प्रदेश 





स्थितियां सामान्य नहीं हैं निजी स्कूल अभिभावकों की आर्थिक स्थिति का ख्याल रखें: लवंगलता निराला, महासचिव झारखण्ड प्रदेश राहुल गांधी विचार मंच 


  ‘‘पूरे देश की आर्थिक गतिविधियां कोरोना काल में लागू लाॅकडाउन से टूट चुकी है ऐसे में झारखण्ड प्रदेश भी अछूता नहीं है इसलिए इस संकट के समय में झारखण्ड की निजी स्कूलों को अपनी मनमानी नहीं करनी चाहिए और सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए 80 प्रतिशत तंगहाल में जी रहे मध्यवर्गीय अभिभावकों को फीस मद में राहत और रियायत देनी चाहिए: लवंगलता निराला, महासचिव झारखण्ड प्रदेश राहुल गांधी विचार मंच

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