समाहरणालय सभागार में उपायुक्त राजेश्वरी बी की अध्यक्षता में डेंगू व चिकनगुनिया के बचाव,उपायों एवं उपचार से संबंधित बैठक की गई

समाहरणालय सभागार में उपायुक्त राजेश्वरी बी की अध्यक्षता में डेंगू व चिकनगुनिया के बचाव,उपायों एवं उपचार से संबंधित बैठक की गई
  समाहरणालय सभागार में उपायुक्त राजेश्वरी बी की अध्यक्षता में डेंगू व चिकनगुनिया के बचाव,उपायों एवं उपचार से संबंधित बैठक की गई। उपायुक्त ने बैठक में मलेरिया, डेंगू व चिकनगुनिया के बचाव उपायों व उपचार की समीक्षा की तथा संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उपायुक्त ने कहा कि विश्व में प्रतिवर्ष लाखों की सख्या में मलेरिया रोग से लोग पीड़ित होते हैं तथा जिनमें से हजारों की संख्या में मलेरिया के कारण मृत्यु हो जाती है। मलेरिया रोग मादा एनाफलिज मच्छर के कारण होता है। यह मच्छर साफ रुके हुए पानी में पैदा होता है। वर्षा ऋतु का मौसम है जिसके कारण मच्छर पनपने की संभावना ज्यादा हो जाती है। जिसका उपाय उन सभी छोटे छोटे गड्ढों को भरना, गमलों, कूलर, टकियों आदि को प्रत्येक सप्ताह में एक बार साफ करना व स्वास्थ्य स्टाफ द्वारा आमजन को जागरूक करने से हम मलेरिया के मच्छर पैदा होने से रोक सकते हैं। इन छोटी छोटी युक्तियों को अपनाकर मलेरिया रोग को नियंत्रित कर सकते हैं। उपायुक्त ने कहा कि मलेरिया व डेंगू को कन्ट्रोल करने के लिए शहर व ग्रामीण क्षेत्र में घरों के साथ-साथ सड़क, गली, मोहल्ला व सार्वजनिक स्थानों पर एकत्रित होने वाले पानी में भी लारवा की जांच की जाए। उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग अपने संबंधित कार्यक्षेत्र व कार्यालय के आसपास जल भराव न होने दें। सिविल सर्जन ने बताया कि अबतक 2020 में एक भी डेंगू के मरीज नहीं मिले हैं। वर्ष 2019 में 6 मरीज डेंगू के थे। सभी इलाज के उपरांत स्वस्थ हो गए हैं। जिला में डेंगू सर्विलांस का कार्य प्रारंभ... दुमका नगरपालिका क्षेत्र में डेंगू कंटेनर सर्विलांस का कार्य दिनांक 16.06.2020 से प्रारंभ है। यह डेंगू सर्विलांस पूरे 100 दिनों तक सभी घरों में जाकर डेंगू लार्वा पनपने वाले पानी के कन्टेनर की जाॅच करेंगे तथा लोगों को डेंगू से बचाव हेतु जागरूक करेंगे। डेंगू कंटेनर सर्विलांस के दौरान डेंगू से बचाव संबंधी हैण्डबिल का वितरण भी किया जा रहा है। दिनांक 16.06.2020 से दुमका शहरी क्षेत्र के वार्डों में डेंगू कंटेनर सर्विलेंस का कार्य किया जा रहा है। अब तक 1404 घरों की जाँच की गयी है, जिसमें 4007 जलपात्रों की जाँच की गयी है, जिसमें 08 घरों में डेंगू के लार्वा पायी गयी है, जिसे नष्ट कर दिया गया है। अबतक कुल 125 प्रजनन स्थलों को नष्ट किया गया है एवं 3067 हैंडबिल का वितरण कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसी क्रम में डेंगू के संबंध में विस्तृत रुप से चर्चा की गई। डेंगू क्या है? डेंगू एक भायरल बीमारी है अर्थात डेंगू वायरस से होने वाला बीमारी है।डेंगू बुखार गंभीर फ्लू जैसी बीमारी है। डेंगू संक्रमित एडीस मच्छर के काटने से फैलता है।एडिस मच्छर के शरीर पर काली और सफेद धारियां होती हैं। यह मच्छर दिन के समय काटता है।संक्रमित मच्छर के काटने के 5-6 दिन के बाद मनुष्य में डेंगू के लक्षण दिखाई देने लगता है। इसके दो रूप है- डेंगू बुखार और डेंगू हेमोरेजिक बुखार (डी0एच0एफ0) डेंगू के लक्षण... अचानक तेज बुखार आना, तीव्र सिर दर्द,आँख के पिछले हिस्से में इतना दर्द की आँख घुमाना भी कठिन हो। जोड़ों एवं मांसपेशियों में दर्द,पहचान खोना एवं तेज बुखार,खसरा के जैसे चकते/दाने छाती और दोनों हाथों में हो जाना। रोगी को कब अस्पताल भेजना चाहिए,जब रोगी को उपरोक्त लक्षण के साथ 4-5 दिन से बुखार आ रहा हो और उसके मसूड़ें से खून का आना डेंगू हेमोरेजिक बुखार का खतरनाक स्थिति को परिलक्षित करता है। डेंगू हेमोरेजिक बुखार गंभीर किस्म की बीमारी है यदि उसका उपचार सही ढंग से नहीं किया गया तो रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। डेंगू या हेमोरेजिक बुखार से संभावित व्यक्ति को डाक्टर से एक बार अवश्य दिखाना चाहिए। डेंगू से कैसे बचें... डेंगू से बचा जा सकता है कई बार समय पर सूचना नहीं मिलने के कारण यह बहुत गंभीर हो जाता है। डेंगू के मुफ्त जाँच एवं चिकित्सा की सुविधा, वैक्टर वृद्धि के स्त्रोत, व्यक्तिगत बचाव जैसे-कीटनाशकयुक्त मच्छरदानी, लार्वाभक्षी मछली सहित डेंगू के रोकथाम के तरीका संबंधी सूचना जन समुदाय को दी जानी चाहिए। पंचायती राज संस्थान, स्वयं सेवी संस्था, महिला स्वयं सहायता समूह, आस्था आधारित संस्था आदि को जन शिक्षा में शामिल करना चाहिए। चैपाल, स्कूल, आंगनबाड़ी केन्द्र या सार्वजनिक स्थल पर डेंगू के बारे में जानकारी देने के लिए बैठक करना चाहिए एवं स्थानीय क्लब, महिला मंडल, शिक्षक, सेविका सहायिका, आशा/सहिया को इस संबंध में सही जानकारी देना चाहिए ताकि ग्रामीण के मन में उठे आशंका/प्रश्न इत्यादि के संबंध में लोगों को जानकारी दे सके। बाह्य प्रचार के लिए माईक, नगाड़ा, डुगडुगी, मेला, नुक्कर-नाटक आदि का प्रयोग साप्ताहिक बाजार के दिन गाँवों में जाकर करना चाहिए। चित्रात्मक कार्ड, पोस्टर, दीवार लेखन, पम्पलेट, फ्लीप चार्ट आदि का भी प्रयोग प्रचार-प्रसार के लिए करना चाहिए। मच्छर को पनपने से रोकना... पानी रखने के सभी बर्तनों/टंकियों को ठीक से ढक्कन लगा कर रखना चाहिए। सभी छिद्रों/दरारों को बंद कर दें ताकि उसमें मच्छर प्रवेश न कर सके। घर के आसपास सभी पुराने टायरों, बर्तनों के टुकड़ों, खुला टंकियों को नहीं रहने देना चाहिए ताकि इसमें जल जमाव न हों। घर के चारों तरफ स्थिर जल जमाव वाले क्षेत्रों को भर देना चाहिए एवं घर के चारों तरफ साफ-सूथरा एवं सूखा रखना चाहिए। वैसे सभी जलजमाव में कीटनाशक, पेट्रोल, मिट्टी तेल सप्ताह में एक बार अवश्य डालनी चाहिए, जिन्हें खाली या साफ नहीं किया जा सकता है। सप्ताह में कम-से-कम एक दिन कूलन, फूलदान, फ्रिज ट्रे सहित पानी रखने के बर्तन से पानी बहाकर सूखा लेना चाहिए। स्थायी जलजमाव वाले क्षेत्रों में लार्वाभक्षी मछली गम्बुसिया/गप्पी डालना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए जिला मलेरिया कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।

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