गुरू ब्रम्हा गुरू विष्णु गुरू देव महेश्वर

 गुरू ब्रम्हा गुरू विष्णु गुरू देव महेश्वर

   गुरू और शिष्य का स्नेह सबसे अनोखा रहा है हर युग में  उदाहरण गुरू द्रोनाचार्य जो अर्जुन को प्रिय मानते थे ।ऐसा नहीं की किसी और शिष्य से लगाव नहीं सब समान थे पर अर्जुन प्रिय शिष्य थे।
अब हम एक गुरु और शिष्य के बारे में बात करतें हैं। जहाँ शिष्य अपने गुरू को समझता है।एक शिशु जब जन्म लेता है तब सबसे पहली गुरू माता होती हैं।जो अपने बच्चों को शिक्षित करती हैं घर के संस्कार देती हैं।
उसके बाद जब पहली बार शिशु अपने पिता के साथ कही जाता है और पिता के संस्कार शिशु को स्पर्श करतें हैं। वह शिशु पिता के मार्गो को भी अपनाता है 
जीवन में सबसे महत्वपूर्ण बात गुरु का स्थान दुनिया मे सबसे ज्यादा पूजनीय होता है जो धन खर्च करके भी अर्जित नही किया जाता।
बहुत ही सुंदर बात मैं यहाँ कहने जा रहीं हूँ।
जब गुरू हमारी शंका दूर करते हैं तब भगवान संकर की छवि और चित्र के रूप में सामने दिखाई देतें हैं।
जब मोह और लालच दूर करतें हैं तब ,मोहन ,मुरलीधर ,कन्हैया लगते हैं।
जब विष ,ईर्ष्या ,जलन दूर करतें हैं। विष्णु और मित्र लगतें हैं।
जब भरम दूर करतें हैं तब ब्रम्हा लगते हैं।
जब दुर्गति दुर्भाग्य दूर करतें हैं तब दुर्गा और गायत्री लगतें हैं।
जब गुरुर दूर करतें हैं घमंड दूर करतें हैं तब हमारे गुरु लगतें हैं
एक दिन एक शिक्षक पैसे निकालने ATM गए तो ATM ख़राब था ।
चेक बुक उनके पास थी तो बैंक चले गए..
वे एक हजार का चेक भरकर कैशियर को दिया ,कैशियर बोला सर पांच हजार से कम पर चार्ज लगेगा ।
शिक्षक ने दूसरा चेक छह हजार का भरा तो कैशियर ने छह हजार शिक्षक को दे दिए।
अब शिक्षक ने एक हजार जेब में रखे और पांच हजार की जमा की पर्ची भरकर कैशियर को थमा दी ।
अब कैशियर काट खाने वाली नजरों से घूर रहा था।
शिक्षक बोले... ये जो नियम बनाने वाले हैं न उनको हम ही पढ़ा के तैयार करते हैं.
_बोल देना ....गुरुजी आये थे_
सेहत का राज किचन के साथ 
हमारे रोज के दिनचर्या में प्रयोग होने वाली वस्तुएं जिन्हें हम केवल स्वाद के लिए प्रयोग करते है परंतु क्या अपने कभी सोचा है इसमें ऐसे बहुत सारे तत्व मौजूद है जो हमारे सेहत से जुड़े हुए ये ना केवल स्वाद बढ़ते है बल्कि हमारे बीमारियों के इलाज में भी सहायक हो सकते है जिनके लिए हम अस्पतालों के चक्कर काटते हैं आईए जाने कुछ पदार्थो के बारे में जिनका सेवन खाने के स्वादिष्ट बनाने के साथ हमारे बीमारियों को भी दूर करने में हमारी मदद करते हैं 
मूंगफली के तेल के फायदे
1 पाचन क्रिया करे दुरुस्त :
मूंगफली का सेवन करने पाचन शक्ति बढ़ती है और हमारी पाचन क्रिया दुरस्त भी होती है। स्टेरिक एसिड, पाल्मिालिक एसिड और ओलिक एसिड से भरपूर मूंगफली का तेल कब्ज,पाचन, डायरिया बहुत ही लाभदायक है।
2 वजन कम करने में सहायक :
वजन कम करने के कई प्रयासों में एक प्रयास यह है कि आप मूंगफली के तेल का सेवन कीजिए। इसे वजन घटाने का एक उपाय माना जाता है। नियमित रूप से मूंगफली का तेल खाने से बढ़ते वजन पर कंट्रोल किया जा सकता है।
3 ब्लड प्रेशर को नियंत्रित :
ब्लड प्रेशर की समस्या का मुख्य कारण उनकी अनियमित लाइफस्टाइल और गलत खान-पान। मूंगफली का सेवन करने से दिल का खतरा बहुत ही कम रहता है। यह ब्लड प्रेशर की समस्या के लिए भी मूंगफली का तेल काफी लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा मूंगफली का तेल धमनियों में रक्त का प्रवाह बेहतर तरीके से करता है। यह कोलेस्ट्रॉल में बहुत ही फायदेमंद है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल को बॉडी में नहीं पहुंचने देता।
अरंडी तेल से स्वास्थ्य लाभ
आयुर्वेद के अनुसार अरंडी का तेल केवल 
विरेचक ही नहीं अपितु शरीर की सभी धातुओं 
पर उत्तम कार्य करनेवाला भी है। यह उष्ण, तीक्ष्ण, 
तीखा, कसैला, उत्तम वातनाशक व पचने में भारी 
है। यह जठराग्नि, स्मृति, मेधा, कांति, बल-वीर्य 
और आयुष्य को बढ़ानेवाला एवं युवावस्था को 
प्रदीर्घ रखनेवाला तथा रसायन (tonic) और हृदय के लिए हितकर है।
अरंडी तेलका नियमित सेवन से होने वाले लाभ
 रात को 100 मि.ली. पानी में 1 से 2 ग्राम सोंठ डालकर उबलने रख दें। 50 मि.ली. रहने पर उतार लें। 
गुनगुना रहने पर इसमें 2-4 चम्मच अरंडी तेल मिला के पियें। अथवा रोटी बनाते समय एक व्यक्ति के लिए 1 से 2 चम्मच अरंडी तेल आटे में मिलाकर आटा गूंथें। इस प्रकार बनी रोटियाँ खायें।
उपरोक्त प्रयोग कई बीमारियों में लाभकारी
है, विशेषरूप से आमवात (गठिया), कमरदर्द एवं
कब्ज वालों के लिए यह बहुत उपयोगी है।
अरंडी तेल के नियमित सेवन से 
मूत्रावरोध, अंडवृद्धि, अफरा, वायुगोला, दमा, 
चर्मरोग, रक्ताल्पता (anaemia), कमरदर्द आदि 
रोगों में लाभ होता है।
 यह योनिगत व शुक्रगत दोषों, मलाशय 
व मूत्राशय के दोषों तथा रक्तदोषों को हरता है।
घाव को जल्दी भरकर संक्रमण होने से
बचाता है।
 सिरदर्द अथवा तलवों में होने वाली जलन में अरंडी तेल की प्रभावित स्थान पर मालिश लाभदायी है।

1-शुद्ध शहद में नींबू की शिकंजी पीने से मोटापा दूर होता है।
2-नींबू के सेवन से सूखा रोग दूर होता है।
3-नींबू का रस एवं शहद एक-एक तोला लेने से दमा में आराम मिलता है।
4-नींबू का छिलका पीसकर उसका लेप माथे पर लगाने से माइग्रेन ठीक होता है।
5- नींबू में पिसी काली मिर्च छिड़क कर जरा सा गर्म करके चूसने से मलेरिया ज्वर में आराम मिलता है।
6-नींबू के रस में नमक मिलाकर नहाने से त्वचा का रंग निखरता है और सौंदर्य बढ़ता है।
7- नौसादर को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद ठीक होता है।
8- नींबू के बीज को पीसकर लगाने से गंजापन दूर होता है।
9-बहरापन हो तो नींबू के रस में दालचीनी का तेल मिलाकर डालें।
10-आधा कप गाजर के रस में नींबू निचोड़कर पिएं, रक्त की कमी दूर होगी।
11- दो चम्मच बादाम के तेल में नींबू की दो बूंद मिलाएं और रूई की सहायता से दिन में कई बार घाव पर लगाएं, घाव बहुत जल्द ठीक हो जाएगा।
12- प्रतिदिन नाश्ते से पहले एक चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच ज़ैतून का तेल पीने से पत्थरी से छुटकारा मिलता है।
13- किसी जानवर के काटे या डसे हुए भाग पर रूई से नींबू का रस लगांए, लाभ होगा।
14- एक गिलास गर्म पानी में नींबू डाल कर पीने से पांचन क्रिया ठीक रहती है।
15- चक्तचाप, खांसी, क़ब्ज़ और पीड़ा में भी नींबू चमत्कारिक प्रभाव दिखाता है।
16- विशेषज्ञों का कहना है कि नींबू का रस विटामिन सी, विटामिन, बी, कैल्शियम, फ़ास्फ़ोरस, मैग्नीशियम, प्रोटीन और कार्बोहाईड्रेट से समृद्ध होता है।
17- विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मसूढ़ों से ख़ून रिसता हो तो प्रभावित जगह पर नींबू का रस लगाने से मसूढ़े स्वस्थ हो जाते हैं।
18- नींबू का रस पानी में मिलाकर ग़रारा करने से गला खुल जाता है।
19- नींबू के रस को पानी में मिलाकर पीने से त्वचा रोगों से भी बचाव होता है अतः त्वचा चमकती रहती है, कील मुंहासे भी इससे दूर होते हैं और झुर्रियों की भी रोकथाम करता है।
अन्नपूर्णा श्रीवास्तव

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