नारी का सशक्तिकरण करके ही महिलाओं पर होने वाले अपराधों की कमर तोड़ी जा सकती है

नारी का सशक्तिकरण करके ही महिलाओं पर होने 

वाले अपराधों की कमर तोड़ी जा सकती है



नारी तू नारायणी है जग की पालनहार ।
मां जगदम्बे का स्वरूप तू तुझमें बसता संसार ।।
तुझमें बसता संसार तू है जगत कल्याणी ।
मां सरस्वती की रुप तू तुझसे निर्मल वाणी ।।
होना होगा सशक्त तुझे ओ जग की पालनहार ।
तुझमें ही बसता है एक जीवन का नया संसार ।।
प्रथम शैलपुत्री की आराधना के दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने मिशन शक्ति की शुरुआत कर महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराधों के खिलाफ बिगुल बजा दिया है । इस मिशन को बलरामपुर की बेटी के नाम समर्पित करके उन्होंने सरकार की संवेदना को तो रखा ही है साथ ही जघन्य क्रूरता की शिकार हुई बालिका को भी श्रद्धांजलि अर्पित की है और यह संकल्प भी लोगों के समक्ष रखा है कि आरोपितों को फास्ट ट्रैक कोर्ट से जल्द से जल्द सजा दिलाई जाएगी । प्रदेश में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों इसी उद्देश्य से मिशन शक्ति की शुरुआत हुई है ‌ इस मौके पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि नारी को सशक्त बनाकर ही महिला अपराधों की रोकथाम की जा सकती है । पुलिसकर्मियों को भी संकल्प लेना होगा कि उनके क्षेत्र में कोई घटना घटित ना हो । राज्यपाल ने शनिवार को मिशन शक्ति के शुभारंभ पर कहा कि महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ने के साथ ही समाज का दायित्व भी बढ़ जाता है । इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों का दायित्व केवल प्रवेश शिक्षण परीक्षा एवं परिणाम तक सीमित नहीं होना चाहिए बेटियां सुरक्षित हैं कि नहीं उन्हें अधिकारों की जानकारी है या नहीं इस पर भी चर्चा होनी चाहिए । इस मौके पर डीजीपी हितेश चन्द्र अवस्थी ने कहा कि पुलिस के साथ लोगों को भी जागरूक कर भयमुक्त वातावरण बनाने का प्रयास किया जाएगा । मिशन शक्ति के जरिए दुराचारियों की पहचान उजागर करने थानों में महिला डेस्क स्थापित करने और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने का काम पूरी मुस्तैदी से किया जाएगा ।उन्होंने कहा कि पिंक पेट्रोल वाहनों की योजना को जल्द प्रदेश के अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा एडीजी महिला बाल सुरक्षा संगठन मीरा रावत ने पिंक पेट्रोल योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी । जिस प्रकार से समाज में महिला अपराधों में प्रति दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है उसे देखते हुए मिशन शक्ति के शुरुआत प्रदेश सरकार ने की है । आपसे पहले प्रदेश में शोहदों और मनचलों के खिलाफ इतने व्यापक स्तर पर अभियान नहीं चलाया गया या अभी वहां अभियान 6 माह तक चलेगा और एक तरह से यह नारी शक्ति की प्रतीक महिला पुलिस कर्मियों के लिए चुनौती भी होगी क्योंकि मुख्य जिम्मेदारी उन्हे ही दी गई है ।मिशन शक्ति के रूप में खाकी के वेश में नारी की ऊर्जा का सफल रूप भी देखने को मिलेगा ।जो इस बात का उदाहरण होगा कि महिला पुलिसकर्मी हर चुनौती का सामना करने में सक्षम है शासन ने पहली बार बड़े स्तर पर महिला पुलिस कर्मियों की भूमिका बढ़ाई है वह पुरुष सिपाहियों की भांति शांति और कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर तैनात नजर आएंगी । पुलिस महकमे में महिला पुलिस कर्मियों का बेड़ा अब बड़ा हो गया है। और उनकी संख्या 25000 पार कर चुकी है इन्हें महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को रोकने के लिए सादे वेश में फील्ड में तैनात किया जाएगा जिम्मेदारियां बढ़ने से निश्चित तौर पर निश्चित रूप से उनका खुद पर भरोसा और और बढ़ेगा हर जिले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को नोडल अधिकारी के तौर पर नामित किया जाना इस कड़ी का कदम है शारदीय नवरात्र के वार्षिक नवरात्र तक चलने वाले इस याद में अंतरराष्ट्रीय स्थानीय सामाजिक संगठन भी जुड़ेंगे और मनचलों के खिलाफ समाज को आगे आने के लिए प्रेरित करेंगे । यह सरकार का यह ऐसा सकारात्मक कदम है जिसके द्वारा महिलाओं पर होने वाले अपराधों में निश्चित रूप से काफी कमियां आएगी । लेकिन सोचने वाली बात यह है कि मानसिकता को कैसे बदला जाए? कहीं ना कहीं हमारी आज के समय में मानसिकता इतनी प्रदूषित होते चले जा रही है कि स्त्री के प्रति नजरिया ही बदल गया है । जो किसी भी समाज के लिए हितकर नहीं है । धर्म चाहें कोई भी हो, समाज चाहें कोई भी हो ।ऐसी घटनाएं पूरे समाज को शर्मिंदा करने वाली होती हैं ।मीटू प्रसंग ने जहां पूरे सभ्य समाज को कलंकित किया तो मासूम बच्चियां तक बलात्कारियों की हवस का शिकार बनीं । बच्चियां ही नहीं छोटे छोटे बच्चों तक को हवस का शिकार बनाया गया । ऐसी घटनाओं को लम्बे अर्से तक छोड़ने के बजाय सरकार को ऐसी विषयों में तुरन्त कार्यवाही करनी चाहिए । लेकिन कुछ घटनाओं में झूटे केसों का भी मामला देखने को मिला । ऐसी परिस्थितियों में पुलिस को संजीदगी का परिचय देते हुए गहन छानबीन करनी चाहिए ।हो सकता है अपराधी सकुशल बच जाता है । और कभी कभी निरपराध को सजा मिल जाती है । जिसकी भरपाई होनी मुश्किल हो जाती है ।इस प्रकार के केस किसी के जीवन मरण का कारण भी बन सकते हैं । स्त्री एक शक्ति है जो नो माह पेट में रखकर बच्चे को एक नया जीवन देती है ।ऐसा इस संसार में कोई व्यक्ति नहीं जिसने किसी मां की कोख से जन्म न लिया हो । हाड़ मांस का शरीर समय के अनुसार बदलता रहता है । लेकिन प्रेम और सौहार्द कभी मरा नहीं करते । पृथ्वी जो सबकी मां है ।वह सभी कुछ सहन करती है । पिता आकाश है जो जीवन को आधार प्रदान करता है । प्रकृति और पुरुष के संयोग से ही जीवन की उत्पत्ति संभव है । काश हम इस तथ्य को समझें । नवरात्र पर्व हमें स्त्री शक्ति का ही महत्व समझाते हैं । प्रथम शैलपुत्री जो कि हिमाचल की पुत्री कहलाती है, द्वीतिय ब्रह्मचारिणी तृतीय चंद्रघंटा , कुष्मांडा चतुर्थ पंचम स्कंध माता छटी काल रात्रि सप्तम महा गौरी अष्टम चामुंडा,नवम सिद्धिदात्री । नवरात्र में इन नो देवियों को पूजा जाता है।जिनका अलग-अलग महत्व है । जैसी परिस्थिति होती है स्त्री को भी वही रुप धारण करना पड़ता है । जहां वह पति की अर्धांगिनी है । वहीं किसी पिता की पुत्री कहलाती है ।तो वहीं किसी भाई की बहन भी । साथ ही सामाजिक सम्बन्धों पर गौर किया जाए ‌तो हमें प्रकृति से बढ़कर दूसरा कोई गुरु नहीं मिल सकता ।जो हमें जीवन का रहस्य समझाती है ।जो विभिन्न प्रकार के बीजों को अपनी कोख में समेट लेती है । और समय आने पर बेल बूटे और नन्हे नन्हे पौधे के रूप में उपजाती है ।यह है स्त्री शक्ति की महिमा ।हम स्त्री शक्ति का सम्मान करें और उसे उसके अधिकारों से वंचित न करें । अन्यथा उसके दुष्परिणामों को भोगने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए । जहां स्त्री सरस्वती ब्रह्मचारिणी और लक्ष्मी कहलाती है ।तो वहीं इज्जत पर आंच आने पर महाकाली भी बन सकतीं हैं ‌।हम बेटियों को इतना मजबूत बनायें कि कोई असुर उनकी तरफ़ आंख उठाने पहले हजार बार सोचे इसका क्या परिणाम हो सकता है ।
नारी नहीं नारायणी है जो सबकी पालनहार कहलाती है ।
नौ माह कोख में रखकर जीवन का सार सिखाती है ।।
प्रकृति है सबकी मां जो जीवन की उत्पत्ति करतीं हैं ।
पिता आकाश के संयोग से पालन पोषण करती है ।।
चंद्रशेखर मारकंडे ‌

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