कोरोना काल में देश में गरीबी और अमीरी के
फासले :मनोहर कुमार यादव
कोरोना महामारी ने 2020 में 7 .5 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से नीचे धकेला।
देश मे कुल गरीबों की संख्या 44.5 करोड़ हो गया।
मोदी सरकार ने अभी तक गरीबी निधार्रित करनेवाला कोई समिति का गठन नही किया है।
जबकि 2021 में कोरोना महामारी 2020 के मुकाबले तीव्र गति से लोगों को संक्रमित कर रही है।
2020 मे 14 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई थी।
कोरोना महामारी ने 2020 में 1 दिन में अधिकतम एक लाख से भी कम लोगों को ही संक्रमित किया जबकि 2021 में यह आंकड़ा एक दिन में 1 लाख 70 हजार की संख्या से पार कर रहा है ।
देश में जिस तरह गरीबों की संख्या बढ़ रही है उसी तरह अमीरों की संख्या भी बढ़ रही है ।
2020 में 7:5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए 2019 देश में37 करोड़ लोग गरीबी रेखा के निचे थे जो2020 मे बढकर44.5 करोड़ हो गया लेकिन अरबपतियों की संख्या में भी भारी वृद्धि हुई है कोरोना काल 2020 में 40 अमीर अरबपतियों के श्रेणी में आ गए।
सर्वे के मुताबिक भारत में कुल अरबपतियों की संख्या 177 है ।2020 के कोरोना काल में 100 अरबपतियों के 13 लाख करोड़ रूपया आय में वृद्धि हुई, अडानी अंबानी सहित कई अरबपतियों के आय मे करोना काल 2020 में प्रति घंटा 90 करोड़ रूपया की वृद्धि हुई एक मजदूर को इतनी राशि कमाने में दस हजार साल लगेंगे इन अमीरों के एक सेकंड में हुई जो कमाई है उसे कमाने के लिए एक मजदूर को 3 साल लगेंगे ।
अप्रैल 2020 में प्रति घंटा एक लाख 70 हजार लोग बेरोजगार हो रहे थे। कोरोना काल में अरबपतियों की हुई कमाई को यदि बांटा जाए तो 14 करोड़ गरीबों को ₹94000 के हिसाब से मिल सकता था ।भारत में 35 करोड़ लोगों के पास रोटी , कपड़ा और मकान नहीं है ।
गरीबी निर्धारण करने के लिए देश में कई समितियां बनाई गई जिसमें सर्वप्रथम 1962 में योजना कार्य समूह 1971 में बीएम दांडेकर और एन रथ की समिति 1979 में अलघ समिति 1993 में लकड़ावाला समिति 2009 में तेंदुलकर समिति और 2014 में रंगराजन समिति। इन समितियों में रंगराजन समिति को छोड़कर सभी समितियों के सिफारिश को लागू किया गया था लेकिन 2014 में बनी केंद्र की मोदी सरकार ने रंगराजन समिति की सिफारिश को खारिज कर दिया ।
तेंदुलकर समिति ने शहरी क्षेत्रों में ₹32 प्रति दिन और ग्रामीण क्षेत्र में ₹26 प्रतिदिन खर्च करने वाले लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर माना था, तेंदुलकर समिति के इन सिफारिशों को सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने हलफनामा दायर कर जमा किया था।
2005 से लेकर 2016 तक गरीबी की संख्या कम हुई थी 2005 में देश में गरीबों की संख्या आबादी के 55 प्रतिशत यानी कि 64 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे थे 2016 में पिछले 10 वर्षों में घटकर 37 करोड़ गरीबों की संख्या रह गई थी । भारत में गरीबी मापने का पैमाना ₹150 तक प्रतिदिन कमाने वाले गरीबी रेखा के नीचे माने जाते हैं ₹750 से 15 सौ रुपए तक प्रतिदिन कमाने वाले व्यक्ति को मध्यम वर्ग में माना जाता है और 7300 करोड़ रुपया संपत्ति वाले को अरबपति की श्रेणी में माना जाता है ।
भारत दुनिया घर में 0.123 अंकों के साथ गरीबी के मामले में दुनिया के 107 देशों में 62 वे स्थान पर है दुनिया भर के गरीबों का तीसरा हिस्सा भारत में निवास करता है ।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार ₹245 प्रतिदिन कमाने वाले व्यक्ति को गरीबी रेखा से निचे माना जाता है संयुक्त राष्ट्र के हिसाब से भारत में 60% आबादी यानी कि 81 करोड़ 12 लाख लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर कर रहे हैं ।
रंगराजन समिति ने 2014 में शहरी क्षेत्र में 47 रूपया प्रति व्यक्ति प्रति दिन और ग्रामीण क्षेत्र में 33 रुपया प्रति व्यक्ति प्रतिदिन खर्च करने वाले गरीबी रेखा से ऊपर माना गया था।
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