क्यों घटती जा रही है टीकाकरण
की रफ्तार(?):मनोहर कुमार यादव
कोविड पोर्टल के.अनुसार 19 मई
तक देश के754 जिलों में से 92 जिलों
में टिके का एक भी डोज नही लगा है
टीकाकरण सुस्त होती रफ्तार काफी हैरान करने वाली है इसके आसार पहले से ही नजर आ रहे थे कि जितनी संख्या में प्रतिदिन टीके लगाने चाहिए उतने नहीं लग पाएंगे क्योंकि पर्याप्त संख्या में टीके उपलब्ध ही नहीं है । निसंदेह उसकी एक बड़ी वजह यह रही कि समय रहते उनकी उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की जा सकी यदि दिसंबर और जनवरी में ही अग्रिम राशि देकर भारी संख्या में टिके के आर्डर दे दिए गए होते तो जो स्थिति बनी उसे बचा जा सकता था । शायद औरों की तरह टीकाकरण का काम देख रहे लोग भी यह अनुमान लगाने में नाकाम रहे की कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर इतनी जल्दी और इतने भयंकर रूप से आ सकती है कायदे से उन्हें संक्रमण की दूसरी तीसरी लहर का इंतजार करने के फेर में पड़ना ही नहीं चाहिए था क्योंकि अन्य देश अपने टीकाकरण अभियान को गति देने में लगे हुए थे ।लेकिन कम से कम अब तो यह होना चाहिए कि यथाशीघ्र टिके उपलब्ध कराने और टीकाकरण की गति तेज करने की कोई ठोस रूप रेखा बने इस रूप रेखा को तय कर यह स्पष्ट किया जाए कि कितने समय बाद कितने उपलब्ध होंगे ताकि उनकी आपूर्ति और वितरण को लेकर संशय का माहौल दूर हो यह ठीक नहीं कि विदेशी कंपनियों के जिन टिकों का उत्पादन भारत में होना है उनके बारे में अभी भी बहुत स्पष्टता नहीं है लगता है कि रूसी टिके स्पुतनिक को छोड़कर अन्य विदेशी टिके के भारत में उत्पादन को लेकर अभी भी कोई पेच फंसा है इसी तरह यह भी साफ नहीं कि भारत बायोटेक और सिरम इंस्टीट्यूट की का उत्पादन क्षमता वास्तव में कब से कितनी बढऩे वाली है इस मामले में एक-एक दिन का हिसाब होना चाहिए ऐसे समय जब टीकाकरण अभियान लगातार शिथिल होता जा रहा है तब टिकों की आपूर्ति के मामले में ठीक ठीक अनुमान लगाने या उम्मीद जताने का कोई मतलब नहीं है अभी लगता है कि कुछ राज्यों की ओर से अपने स्तर पर टिके की खरीद के लिए ग्लोबल टेंडर जारी करने की जो पहल की गई वह भी किसी अंजाम तक नहीं पहुंचने वाली बेहतर हो कि इस मामले में केंद्र सरकार ही आगे आए क्योंकि लगता नहीं कि राज्य स्तर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार से टीके खरीदने में सक्षम हो पाएंगे यह भी सर्वथा उचित होगा कि जैसे ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए एक समिति बनाई गई वैसे ही टीके की कमी दूर करने के लिए भी कोई सझम समिति बने अब तक ऐसी कोई समिति बन जाती तो संभवत नतीजे कुछ और होते ।
कोविड पोर्टल के अनुसार बुधवार को देश में 754 जिलों में से 92 जिलों में एक भी वैक्सीन की डोज नहीं दी गई ।
टीकाकरण की संख्या लगातार घटती जा रही है 10 मई को 25 -3 लाख 11 मई को 25.3 लाख 12 मई को 19.8 लाख 13 मई को 20.8 लाख 14 मई को 11 .6 लाख 15 मई को 17.6 लाख 16 मई को 7.1 लाख 17 मई को 12.76 लाख 18 मई को 12.28 लाख 19 मई को 11.66 लाख डोज ही दिए गए ।
आखिर क्या कारण है की अप्रैल 30लाख डोज से ज्यादा प्रतिदिन टीकाकरण हो रहा था लेकिन अब यह संख्या घटकर 10 लाख के लगभग आ गया है जो टीकाकरण की उपलब्धता की स्थिति है उसे लगता नहीं कि समय पर टीकाकरण अभियान पूरा हो सकता है , केंद्र सरकार ने यह नियम बना दिया है की उत्पादित टिके की 50% केंद्र सरकार लेगा और 50% 25% राज्य सरकार और 25% प्राइवेट अस्पतालों को दिया जाएगा मई में वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने राज्यों को 8 करोड़ डोज देने की बात कही थी लेकिन अभी तक मात्र 3.14 करोड़ों डोज ही मिल पाया है ।
ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार टिके लगाने में शिथिलता बरत रही है या टीकाकरण अभियान में लगे चिकित्सा कर्मियों की कमी हो गई है जितने चिकित्सा कर्मी टीकाकरण अभियान में अप्रैल में लगे थे उतना ही चिकित्सा कर्मी आज भी टीकाकरण अभियान में लगे हुए हैं लेकिन टीका के अनुपलब्धता के कारण टीकाकरण की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है।
एक माह50% से अधिक कि कमी आइ हैं 19 अप्रैल को30लाख 65 हजार 254 टिके लगे थे वहीं 19 मई को 12 .76 लाख टिके लगा ।
*मनोहर कुमार यादव *

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