केन्द्र सरकार के भेदभावपूर्ण नीति की
सुनवाई प्रतिदिन होना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्टो को कोरोना महामारी पर प्रति दिन सुनवाई करना चाहिए क्योंकि केन्द्र सरकार न्यायालय के इतनी सजगता के वावजूद अपनी गैर जिम्मेदाराना रवैया और भेदभावपूर्ण नीति अपनाने से बाज नहीं आ रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी मे ऑक्सीजन की कमी और जीवन रक्षक दवाओं के असमान वितरण के कारण मची हाहाकार के मद्देनजर स्वतः संज्ञान लेते हुए 23 अप्रैल को सुनवाई किया और केन्द्र सरकार को सख्त चेतावनी भी दिया साथ ही ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाओं पर राष्ट्रीय नीति और राष्ट्रीय प्लान का प्रिंट आउट मांगा लेकिन 27अप्रैल को भी भ्रामक शपथ पत्र ही दाखिल किया फिर 30 अप्रैल को भी टालमटोल वाला ही जबाव दाखिल किया और अब उनही सब सवालों के जबाव के साथ केन्द्र सरकार को 10 मई तक का समय दे दिया गया है लेकिन केन्द्र सरकार बिना चाबुक मारे अपनी न सुधारने वाली घोड़े के समान है इसलिए केन्द्र सरकार को घोड़े कि तरह दिनप्रतिदिन चाबुक लगाने की आवश्यकता है।
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