कई सरकारी स्कूलों में तो कई दुसरे के घरों में लिए हुए हैं शरण

कई सरकारी स्कूलों में तो कई दुसरे 

के घरों में लिए हुए हैं शरण





      मयूरहंड (चतरा)जिले के मयूरहंड प्रखंड में विभागीय लापरवाही का दंश झेल रहे हैं याश चक्रवात व बारिश से प्रभावित पीड़ित परिवार।प्रखंड क्षेत्र के कदगांवाकला पंचायत की ममता देवी व मंझागांवा पंचायत के त्रिवेणी सिंह का आशियाना याश चक्रवात में ध्वस्त हो गया है।तब से लेकर आज तक पीड़ित परिवार दुसरे के घर शरण लिए हुए हैं।इसकी लिखित जानकारी पीड़ित परिवारों द्वारा स्थानीय थाना व अंचल कार्यालय में दे दी गई है।याश चक्रवात से प्रभावित पीड़ित परिवारों की सुचना तत्कालीन बीडीओ विजय कुमार डीडीसी सुनील कुमार सिंह के अलावा सिमरिया विधायक किशुन कुमार दास को भी दिया गया।परंतु संबंधित जिम्मेदार बाबुओं द्वारा केवल आश्वासन दिया गया।अभी तक पीड़ित परिवारों को हाल जानने तक सरकारी बाबुओं का नुमाइंदा नहीं पहुंचा।इतना हीं नहीं इस वर्ष रिकॉर्ड तोड बारिश में फुलांग पंचायत के महुगांई में दर्जनों गरीब परिवारों के घरों में पानी घुस जाने से कच्चा खपरैल मकान ध्वस्त हो चुका है।जिसके कारण आधा दर्जन से ज्यादा पीड़ित परिवार सरकारी विद्यालय में शरण लेने को मजबुर हैं।वहीं कई पीड़ित परिवार दुसरे के घरों में शरण लिए हुए हैं।जिसमें बीडीओ साकेत कुमार सिन्हा द्वारा जीपीएस सतीश मिश्रा को जांच के लिए भेजा भी गया।पर जांच प्रक्रिया केवल खानापूर्ति व‌ आश्वासन भर हीं दिखाई पड़ रहा है।घटना के दो माह बीत जाने पर भी पीड़ित परिवारों के निदान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।जिसके कारण कई पीड़ित परिवारों के समक्ष अब खाने पीने को लेकर भी परेशानी उत्पन्न हो गई है।इसके बावजूद जिम्मेदार बाबुओं द्वारा पीड़ित परिवारों का हाल तक नहीं लिया जाना जिम्मेदार बाबुओं के कार्य शैली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है।इस तरह के दर्जनों पीड़ित परिवार हैं जो आज सरकारी बाबुओं के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार का दंश झेल रहे हैं।जबकि सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन समिति गठित कर तत्काल राहत पहुंचाने की प्रावधान है।पर चतरा जिले के मयूरहंड प्रखंड क्षेत्र में आपदा प्रबंधन समिति द्वारा राहत पहुंचाना तो दुर पीड़ित परिवारों को हाल तक लेना मुनासिब नहीं समझा।सबसे हैरत की बात है कि कई ऐसे पीड़ित परिवार हैं जिनका आवास प्लस सुची में नाम दर्ज है।पर दुर्भाग्य वश पीड़ित परिवारों का आवास प्लस सुची के वरीयता में नाम नहीं होने का दंश झेलना पड़ रहा है।वहीं सरकारी बाबुओं व जनप्रतिनिधियों के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार का लाभ संपन्न परिवारों को मिल रहा है।गैर जिम्मेदार बाबुओं के नजर में ऐसे पीड़ित परिवार वरियता सूची में शामिल होने लायक नहीं हैं।
नोट: फोटो सरकारी स्कूलों में रहते व कच्चा मकान ध्वस्त

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