यदि इसी तरह जांच में पक्षपात होता रहा तो
लोगों को व्यवस्था पर से विश्वास
उठ जाएगा : सुप्रीम कोर्ट
सोमवार को लखीमपुर खीरी मामले की
सुनवाई करते हुए उपरोक्त टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट
के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने कही
सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी में 4 किसानों की बर्बर हत्या में राज्य सरकार की पक्षपात पुर्ण रवैया को देखते हुए स्वत संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की है , सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को निष्पक्ष जांच करने और हत्या आरोपियों पर त्वरित कार्रवाई करने का आदेश देती रही है लेकिन सरकार सिर्फ और सिर्फ टालमटोल वाली रवैया अपनाए हुए है यहां तक की 10 दिनों के समय दिए जाने के बाद भी मामले का स्टेटस रिपोर्ट केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में नहीं दाखिल कर रही है। न्यायालय रात तक इंतजार करती रही लेकिन स्टेटस रिपोर्ट नहीं दाखिल किया गया और ना ही ऑनलाइन अपडेट किया गया ।सरकारों का जघन्य अपराधों में इस तरह का पक्षपात पूर्ण रवैया अभी तक नहीं देखा गया है , मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ट्रेनी को बनाना चाहिए था लेकिन सारे सबूतों के दरकिनार करते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार बचा रही है , सरकारों के पक्षपातपूर्ण रवैया भारत के अलावा दूसरे देशों में बहुत कम ही मिलते हैं करीब 93 साल पहले ब्रिटेन में अपनी पार्टी के दबाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री रैमसे मैकडोनाल्ड ने एक व्यक्ति के खिलाफ अपराधिक केस वापस लेने का फैसला किया संसद में इतना हंगामा हुआ कि उन्हें इस्तीफा तक देना पड़ा तब से आज तक उस देश की किसी भी सरकार ने दोबारा किसी आपराधिक मामले में हस्तक्षेप की हिम्मत नहीं की पर भारत में स्थिति थोड़ी अलग है यहां अनेक राज्यों के उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय भी अक्सर किसी न किसी जांच को लेकर पक्षपात की बात न सिर्फ बहसों में बल्कि अपने फैसलों में भी करते हैं , उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 4 किसानों को गाड़ी से कुचलने के मामले में देश की सबसे बड़ी कोर्ट ने कहा कि एक खास व्यक्ति को बचाने के लिए सरकार जांच में कोताही बरत रही है वह खास व्यक्ति केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के अपने बेटे आशीष मिश्रा है , कोर्ट को सरकार की मंशा पर इतना अविश्वास था कि उसने सरकार द्वारा नियुक्त इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की जांच समिति की जगह बाहर के किसी हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली जांच समिति खुद गठित करने का मन बना लिया यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज रंजीत सिंह एवं राकेश कुमार जैन का नाम तक सुझाया और सरकार को इस पर अपना पक्ष रखने के लिए 3 दिन का समय दिया ।
इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को हटाने की मांग इस आधार पर की जा रही है कि उनके पद पर रहते हुए उनके बेटे के खिलाफ निष्पक्ष जांच नहीं की जा सकती सुप्रीम कोर्ट बेंच के नाराज होने की वजह थी अभियोजन पक्ष का 68 में से 53 गवाहों को मुख्य आरोपी मंत्री के बेटे के पक्ष में प्रस्तुत करना और अन्य आरोपियों के कॉल रिकॉर्ड की जांच नहीं करना कोर्ट ने इस मामले में गठित एसआईटी पर भी सवाल उठाए हैं कोर्ट ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि एक आरोपी को बचाने के लिए दूसरी f.i.r. में एक तरह से सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं। पूरी दुनिया में प्रजातांत्रिक व्यवस्था कुछ मर्यादाओं पर चलती है इन्हें खारिज करना लोगों का इस व्यवस्था में विश्वास खत्म कर देंगा , लखीमपुर खीरी मामले में शुरुआत से ही लापरवाही बरती गई अब उम्मीद है कि निष्पक्ष तरीके से जांच करके आगे बढ़े और अपराधियों को सजा दिलाने के साथ पीड़ितों को न्याय मिले ।
इस मामले में कुल 13 लोग गिरफ्तार किए गए हैं लेकिन इन 13 में से सिर्फ एक व्यक्ति आशीष मिश्रा के पास से ही मोबाइल जप्त किया गया है कोर्ट द्वारा पूछे जाने पर कि बाकी लोगों का मोबाइल क्यों नहीं जप्त किया गया तो केंद्र सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहां की बाकी 12 लोग मोबाइल का उपयोग नहीं करते हैं यह घोर आश्चर्य की बात है कि आज के जमाने में भी गिरफ्तार 12 लोग मोबाइल का उपयोग नहीं करते होंगे जबकि हकीकत यह है की अशिक्षित व्यक्ति भी मोबाइल का उपयोग आज कर रहा है । जांच में यह भी साबित हो चुका है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ट्रेनी के बेटे आशीष मिश्रा एवं उसके साथी अंकित दास के राइफल से ही गोली चली लेकिन फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में जमा नहीं कर रही है सुप्रीम कोर्ट ने सही ही कहा है कि यदि सरकार का यही रवैया रहा तो लोगों को सरकारी व्यवस्था से विश्वास खत्म हो जाएगा ।
मनोहर कुमार यादव
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी पार्टी झारखंड।
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