डाॅ जगनाणी का कार्डायबकाॅन में पायरोपटोसिस पर व्याख्यान

डाॅ जगनाणी का कार्डायबकाॅन 

में पायरोपटोसिस पर व्याख्यान



वाराणसी में सम्पन्न हुए त्रिदिवसीय कार्डायबकाॅन चिकित्सीय सम्मेलन में डाॅ वी के जगनाणी ने पायरोपटोसिस पर व्याख्यान प्रस्तुत किया । उन्होंने बताया कि हम सभी यह जानते हैं कि मधुमेह में वृक्क रोग होने की सम्भावना कई गुणा बढ़ जाती है । अनियन्त्रित मधुमेह में इस स्थिती की अति हो जाती है । इसकी पहल सीरम क्रिएटिनीन बढ़ने से होता है एवं रोग मेडिकल रीनल डिजीज (ऐम.आर.डी.) से क्राॅनिक रीनल डिजीज (सी.के.डी.) होते हुए अन्ततः एण्ड स्टेज रीनल डिजीज (ई.एस.आर.डी.) पर पहुँच जाता है । इस स्थिती में ओषधि के साथ रीनल डायलिसिस अथवा वृक्क प्रत्यारोपण (रीनल ट्रांस्प्लाण्ट) करना पड़ता है । नूतन अनुसन्धान में यह पाया गया है कि गास्डेमिन के कारण होने वाले इन्फ्लामेशन एवं फाईब्रोसिस के चलते वृक्क में पायरोपटोसिस होने लगता है । यह भी पाया गया है कि अगर पायरोपटोसिस के किसी भी चरण पर रोक लगा दी जाय तो वृक्क को इन्फ्लामेशन तथा फाईब्रोसिस से बचाया जा सकता है । अर्थात् , ऐसी ओषधियों के उपचार से डायलिसिस एवं प्रत्यारोपण से बचा जा सकता है । निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करना है कि रक्त शर्करा एवं रक्तचाप एवं वसा के स्तर को नियन्त्रण रखना है । साथ ही, सादा भोजन एवं नियमित व्यायाम का महत्व सर्वोपरि है । ज्ञात हो, पायरोपटोसिस एक विशेष प्रकार का रेगुलेटेड सेल्ल डेथ है जो कि अनियन्त्रित हो जाता है ।

Post a Comment

0 Comments