गुरु पूर्णिमा के दिन विवेकानंद विद्या मन्दिर कुन्दरी में 111 पौधे का रोपण एवं चिकित्सा शिविर का आयोजन संपन्न

गुरु पूर्णिमा के दिन विवेकानंद विद्या मन्दिर 

कुन्दरी में 111 पौधे का रोपण एवं चिकित्सा

 शिविर का आयोजन संपन्न









विवेकानंद विद्या मंदिर कुन्दरी अपनी अनूठी पहचान बनाती जा रही है। जहां एक ओर आधुनिकता की धमक में युवा पीढ़ी खोती जा रही है, वहीं दूसरी ओर स्वामी विवेकानंद जी के प्रेरणा से संचालित विवेकानंद विद्या मंदिर कुन्दरी भारतीय संस्कृति और परंपरा को जीवंत करने का प्रयास कर रही है।
विद्यालय में दिनांक 21 जुलाई 24 को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरुओं के पूजन के साथ सभी छात्रों को इसके महत्व और दृष्टिकोण से अवगत कराया गया। विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री शुभम कुमार ने उपस्थित छात्रों और अभिभावकों को बताया कि लगभग 3000 ई.पूर्व पहले आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास जी के सम्मान में हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का दिन बनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन वेद व्यास जी ने भागवत पुराण का ज्ञान भी दिया था। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुजनों के सम्मान और उन्हें गुरु दक्षिणा देने का बहुत महत्व है। माना जाता है कि इस दिन अपने गुरु और गुरु तुल्य वरिष्ठजनों को मान-सम्मान देते हुए उनका आभार जरूर व्यक्त करना चाहिए। साथ ही जीवन में मार्गदर्शन करने के लिए उन्हें गुरु दक्षिणा देने का भी महत्व है। गुरु पूर्णिमा के दिन व्रत, दान-पुण्य और पूजा-पाठ का भी बहुत महत्व है। माना जाता है कि जो मनुष्य गुरु पूर्णिमा का व्रत रखता है और दान-पुण्य करता है, उसे जीवन में ज्ञान की प्राप्ति होती है और जीवन के बाद मोक्ष मिलता है। आगे श्री शुभम ने इसकी कहानी बताते हुए कहा कि आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास के बचपन की बात है। वेद व्यास ने अपने माता-पिता से भगवान के दर्शन की इच्छा ज़ाहिर की, लेकिन उनकी माता सत्यवती ने उनकी इच्छा पूरी करने से मना कर दिया। वेद व्यास जी हठ करने लगे, तो माता ने उन्हें वन जाने की आज्ञा दे दी। जाते समय माता ने वेद व्यास जी से कहा कि "जब घर की याद आए, तो लौट आना" इसके बाद वेद व्यास जी तपस्या करने के लिए वन चले गए। वन में उन्होंने बहुत कठोर तपस्या की। इस तपस्या के प्रभाव से वेद व्यास जी को संस्कृत भाषा का बहुत ज्ञान हो गया। फिर उन्होंने चारों वेदों का विस्तार किया। इतना ही नहीं, उन्होंने महाभारत, अठारह पुराण और ब्रह्मसूत्र की रचना भी की। महर्षि वेद व्यास जी को चारों वेदों का ज्ञान था, इसीलिए गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा करने की परम्परा चली आ रही है। वेद व्यास जी ने भागवत पुराण का ज्ञान भी दिया था।
विद्यालय प्रबंधन द्वारा छात्रों के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा और बदलते मौसम को देखते हुए स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर का भी आयोजन किया एवं सभी बच्चों का पूर्ण स्क्रीनिंग डॉक्टर के टीम द्वारा किया गया। आवश्यकतानुसार निःशुल्क दवाइयां भी सभी को उपलब्ध कराया गया ।
विद्यालय प्रबंधन के द्वारा आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विद्यालय परिसर में 111 पौधों का रोपण किया गया। ये सभी पौधे बच्चे, अभिभावक चिकित्सक और विद्यालय के शिक्षकों द्वारा रोपित किया गया। विद्यालय परिवार ने सभी अभिभावकों और नीलाम्बर पिताम्बरपुर हॉस्पिटल के प्रभारी चिकित्सक श्री राजीव रंजन, डॉ रेशु रंजन, सहयोगी नीलेश एवं उनकी टीम को साधुवाद दिया जिनके सहयोग से कार्य सफल हुआ। उद्घोष फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री कमलेश सिंह ने सभी अभिभावक, शिक्षिका बबिता, गोल्डी, खुशी, विद्यालय परिवार के पंकज, योगेंद्र, मंजू, पम्मी इत्यादि सहित चिकित्सा विभाग, झारखण्ड सरकार को आभार प्रकट करते हुए कहा कि आज हमसभी को एकजुटता के साथ स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में एक दूसरे के सहयोग से समाज की बुराइयों और बीमारियों से बचने और सुधार करने की जरूरत है। विद्यालय का प्रयास होगा कि बेहतर से बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराते रहें।

Post a Comment

0 Comments