हमारी आदरणीय राजनेता- आतिशीजी

हमारी आदरणीय 

राजनेता- आतिशीजी






सभी बहन भाइयों को मेरी राम-राम। आज का दिन आप सभी के लिए आनंदमय व मंगलमय हो।

हम दिल्ली वासियों के लिए कितने गर्व की बात है कि दिल्ली की नव निर्वाचित मुख्यमंत्री आतिशीजी ने अपने परम गुरु केजरीवाल व अफजल गुरु के सपनों को साकार करने के लिए कमर कस ली है। जो मुसलमान संविधान के डर से चुप बैठे थे,उन्हें हमारी आदरणीय आतिशीजी चिल्ला- चिल्ला कह रही है - डरो मत, डरो मत, डरो मत! क्योंकि अल्लाह ने तुम्हारी रक्षा के लिए मुझे भेज दिया है।

हम अपनी आदरणीय मुख्यमंत्री जी के लिए क्या कहें। उनका व उनके गुरु केजरीवालजी का संपूर्ण चरित्र, इस लेख के साथ भेजे गए दो वीडियो से पूरी तरह उजागर हो जाता है।

किसी ने ठीक ही कहा है- जो अपना ना हुआ, उस पर कभी हक ना जताना और जो हमे समझ ना सका, उसे कभी अपना दुख ना बताना। (लाल)

प्रिय हिंदुओं! दुखों को जताने से कुछ नहीं होगा। सत्य को पहचानो- अभी समय है, जागो और सभी हिंदू बहन भाइयों को जगाओ, वरना आगे अंधेरा ही अंधेरा है।

क्या आप इतिहास भूल गए कि मुट्ठी भर आक्रांताओं ने आकर हमारे हजारों मंदिरों को ध्वस्त कर दिया था। इतना ही नहीं, हमारे देश की अतुल्य धन- संपदा को हजारों ऊंटो पर लाद कर और हमारी हजारों मां- बेटियों को उंटो पर बिठाकर बेचने के लिए विदेश ले जाया करते थे।

संभवत, हमारे ऐसे मक्कार नेताओं ने इतिहास पढा ही नहीं है। क्या उनकी आत्मा इतनी मर चुकी है कि सत्ता- सुख के कुछ क्षणों के लिए, तुष्टिकरण की राजनीति में फंसकर, अपने देश व समाज को बेचने में उन्हें शर्म भी नहीं आती।

राजनीति के इन महा स्वार्थी, मक्कार व धोखेबाज नेताओं को सबक सिखाने के लिए व अंधकारमय भविष्य से बचने के लिए, लोकतंत्र में एकमात्र रास्ता है- आपका अमूल्य वोट।

मेरे प्रिय बहन- भाइयों स्वयं जागो, सभी हिंदुओं को जगाओ! संगठित हो जाओ, मुफ्त की राशन में फंसकर मुफ्त बस यात्रा या मुफ्त बिजली के छोटे-छोटे लालचों में फंसकर इन मक्कार नेताओं को देश व समाज को लूटने का मौका न दो, वरना पछतावा ही पछतावा ।

हमारे अमीर बहन- भाई कुछ क्षणों के सुखों में इतने मग्न हो गए हैं, और गरीब बहन भाई रोजी- रोटी कमाने में इतने खो गए हैं कि उन्हें भविष्य दिखाई ही नहीं दे रहा हैं।

याद रखो! आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेगी। सोचेंगी, हमारे बुजुर्ग इतने स्वार्थी थे कि उन्होंने अपने क्षणिक सुखों के लिए, हमारे जीवन को नर्क बना दिया है जहां घोर दुख ही दुख है, आशा की कोई किरण दिखाई ही नहीं देती।

इससे ज्यादा क्या लिखूं- आप स्वयं भी तो समझदार है।

आपका अपना
 मोतीलाल गुप्त

नोट - आपके अमूल्य विचारों का स्वागत है, वे हमारे मार्गदर्शन में सहायक बनेंगे।

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