मस्जिद जाफरिया से
हजरत अली का ताबूत निकाला गया
बगैर अहले बैत के मोहब्बत दीन और ईमान अधूरा है: मौलाना तहजीबुल हसन
रांची: इस्लामिक साल के नौवें महीने को रमजान मुबारक कहा जाता है। इस महीने का इस्लाम में बहुत महत्व है। लेकिन रमज़ान का दूसरा अशरा इस्लाम के लिए इतना महत्वपूर्ण है कि रमज़ान के 19वें दिन नमाज़ के दौरान कूफ़ा की मस्जिद में अब्दुर-रहमान इब्न मुल्जिम नाम के आतंकवादी ने ज़हरीली तलवार से हज़रत अली पर हमला किया। जिससे आपके सिर में चोट लग गयी। आप दो दिन बीमार थे। 21 रमज़ान को सुबह के समय उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उपरोक्त बातें हजरत मौलाना हाजी सैयद तहजीबुल हसन रिजवी ने कही। वह शुक्रवार को मस्जिद जाफरिया में तीन दिवसीय मजलिस की तीसरी सभा को संबोधित कर रहे थे। मौलाना तहजीबुल हसन ने कहा कि हजरत अली की शहादत से इस्लाम को बहुत नुकसान हुआ। हज़रत अली की शहादत के बाद मुसलमान गुटों में बंट गये। हज़रत अली की महानता के बारे में अल्लाह के रसूल ने कहा कि अली तुमसे मोहब्बत ईमान कि अलामत है। अली को वही मानेगा जो ईमान वाला है। जलसे को संबोधित करते हुए हजरत मौलाना सैयद तहसील हसन रिजवी ने कहा कि अगर आज के मुसलमान दौलत की पूजा करना बंद कर अल्लाह की इबादत करना शुरू कर दें तो दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें किसी भी क्षेत्र में मात नहीं दे सकती। और जब तक हम बंटे रहेंगे, दुश्मन फायदा उठाता रहेगा। बगैर अहले बैत के मोहब्बत दीन और ईमान अधूरा है। हज़रत अली की शहादत सुनकर पूरा मजमा रोने लगा, और मस्जिद हज़रत अली की सदाओं से गूंजने लगी। मजलिस के बाद हजरत अली की शहादत की याद में ताबूत निकाले गए। जो मस्जिद जाफरिया, कर्बला चौक से होकर कर्बला पर समाप्त हुआ। सैयद अत्ता इमाम रिजवी ने सोज ख्वानी की। अमीर गोपाल पुरी, कासिम रांची, जाफर अली, इक़्तेदार हैदरी, हाशिम अली, शहजादा अनवर ने नोहा खानी की। मजलिस का आयोजन अंजुमन जाफरिया के द्वारा किया गया।

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