आपकी अदालत में :माननीय चतरा
सांसद कालीचरण सिंह जी गंभीर जुर्म में जेल
गए व्यक्ति को बेल पर आने के बाद उसे
सांसद प्रतिनिधि बनाना भाजपा और
आपकी छवि को धूमिल करन है

माननीय उच्चतम न्यायालय एवं राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए)
के आदेश शर्त का खुलेआम हो रहा अवहेलना
चतरा सांसद ने बनाया राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के मुकदमें
में बेल लेकर जेल से बाहर आए प्रेम विकास उर्फ मंटू सिंह को
अपना सीसीएल प्रतिनिधि, उठने लगे है, कई सवाल
▪️दबी जुबान से कहने लगे है, कोयलांचल सहित चतरा के लोग....कही फिर से टेरर फंडिंग पटकथा-2 की पृष्ठभूमि तैयार तो नहीं.....?
चतरा संवादाता की रिपोर्ट: किसी ने सच ही कहा है, काजल की कोठरी में घुसने वाले को कालिख और कलंक लगने का सामना एक ना एक दिन करना ही पड़ता है। वैसे भी जहां कालिख है, वहां काली कमाई भी है। खासकर हम बात करें काला हीरा कहाने वाले कोयले की.....तो काला हीरा ने कई लोगों को फर्श से अर्श तक तो पहुंचा दिया, पर अमुक व्यक्ति को सुकून की एक रोटी तक नसीब नहीं हुई। अगर हम बात करें झारखंड में अविभाजित बिहार के समय से स्थापित कोयले की खदान की...तो यहां काले हीरे की चमक ने कई लोगों की किस्मत रातो-रात बदल डाली....वही कोयले में होने वाली काली कमाई की हनक और आपसी अदावत ने अपनो के खून से भगवान बिरसा की धरती को रक्त रंजित कर कलंकित कर दिया। कोयले की काली कमाई को लेकर जहां एक ओर सीसीएल में सुशील श्रीवास्तव और पांडेय गिरोह में हुई अदावत के बाद का परिणाम वही बीसीसीएल के धनबाद में सिंह दो आपसी भाइयों के नामचीन घराने सिंह मेंशन और रघुकुल में चल रही शह -मात का खेल इस बात की बानगी मात्र है। बहरहाल झारखंड का चतरा जिला पहले नक्सलियों के अभेद किले के रूप में जाना जाता था। अब यहां की फ़िजां बदल चुकी है। नक्सलवाद पर टंडवा: चतरा के सांसद काली चरण सिंह ने एनआइए के एक मुकदमा मे बेल पर आए प्रेम विकास को सांसद प्रतिनिधि बनाया है, जहां एक ओर सांसद मे माननीय प्रधानमंत्री के द्वारा 30 दीन तक जेल मे रहने वालों का पद समाप्त कर दिया जाएगा का बिल पास करने के लिए जद्दोजहद मे लगे हैं, वहीं उनके हीं पार्टी के चतरा सांसद एनआइए का चल रहा मुकदमा मे बेल पर आए लोगों को प्रतिनिधि बना रहे है, जबकी माननीय हाई कोर्ट के आदेशानुसार एनआइए के बेल पर आए लोगों को प्रयोजना क्षेत्र मे घुसने पर पाबंदी लगया गया है, ए तो माननीय सांसद के द्वारा कोर्ट के आदेशो का अवमान किया गया है अब सवाल ए है कि ऐसे लोगों को सांसद प्रतिनिधि कैसे बनाया जा सकता है, जबकि दबे जुबान से हीं सही लेकिन क्षेत्र मे चर्चा जोरों पर है कि सांसद फिर से उग्रवादी समर्थकों को पनाह देकर कोल परियोजनाओं मे टन -टना-टन वाला अवैध उगाही करवाना चहते हैं, इसको लेकर सांसद काफी गंभीर भी हैं, इसका अंदाजा इनके द्वारा मनोनीत किए गए प्रतिनिधयों से लगाया जा सकता है, गांव मे भय का माहौल फिर एक बार कायम करने का प्रयास किया जा रहा है, चर्चा ए भी है कि लोकल सेल मे उठा -पटक की स्थित जो उत्पन्न हुई है, ट्रक मालिकों की व्यवस्था को अव्यवस्थित किया गया है इसमे भी सांसद और उनके द्वारा मनोनीत प्रतिनिधि के द्वारा हीं किया गया है, इन सब के पिछे का लक्ष्य सिर्फ ट्रांसपोर्टरों से लोडिंग के नाम पर प्रति टन उगाही का हीं है, अब देखना दिलचस्प होगा कि तत्कालीन एसपी अखिलेश बरीयार के द्वारा जिन उग्रवादी समर्थकों को जमींदोज कर दिया गया था, जिनके साथ प्रशासन बैठने से, बात करने से बचती थी उनलोग के साथ प्रसाशन कैसे पेश आती है।
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