जल-प्लावन


जल-प्लावन


बारिश की बूंदें सघन रूप से बरस पड़ी।
जल-प्लावन की स्थिति भयावह हो उठी।
तटबंधों के किनारे बसने वाले लोगों की गृहस्थी उजड़ गयी। बाढ़ की स्थिति भया वह  हो उठी।
द्रुतगति से मेघ-गर्जन निकलती दामिनी की किरणें तन-मन में सिहरन करती, हृदय को कंपकपाती,रव वज्रपात का, ह्रदय की धड़कन को बढा़ती।
गिरती बिजलीयां, वज्रपात बनकर शरीर को क्षत-विक्षत कर ती धराशायी हो गये।
वज्रपात का रव ह्रदय को उद्वेलित कर गया
हृदय चीरकर ध्वनि आगे निकल गयी।हाय!
बारिश बाढ़ में परिणत हो गई।हे पृथ्वी तु इसे झेलकर सशक्त हो उठेंगी। चारों ओर हरियाली छायेगी...।
धरती तू उर्वरा हम सब अभय वरदान दे जायेगी।
जीवन को रसप्लावित कर जायेगी।

कवियत्री - रेखा सिन्हा, पटना
एम0 ए0 हिन्दी।पी०एच०डी०हिन्दी। जयप्रकाश विश्व विद्यालय।ए०म०कलकत्ता विश्वविद्यालय।

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