मुश्किलों का दौर है!

मुश्किलों का दौर है! 

यह वक्त,
मुश्किलों का दौर है।

कोरोना हर जगह,
घाट लगाये बैठा है,
व्यक्ति से व्यक्ति को,
संक्रमित करता है।

यह वक्त,
मुश्किलों का दौर है।

कोरोना ने आपस में,
इतना दूरियाँ बढ़ाई,
कोरोना के भय से,
हर रिश्ते बेगाने बने।

यह वक्त,
मुश्किलों का दौर है।

कोई मरना नहीं चाहता,
कोरोना हर व्यक्ति को,
संक्रमित करके मारने तुला,
ऐ भाई जरा सावधानी से,
खुद जीओ,ओरो को जीना सिखाओ।

यह वक्त,
मुश्किलों का दौर है।

यह कैसी बिडम्बना है?
मृत स्वजन को चार अपनो का,
कंधा देने और श्मशानघाट ले जाने की,
अब उनका साथ न मिलता है,
कोरोना का इतना डर,व्यर्थ हुए रिश्ते।

यह वक्त,
मुश्किलों का दौर है।

कोरोना वायरस की माहमारी,
अब छिन लिया है आजादी,
भय,मौत का वातावरण में,
हर व्यक्ति को जीना मजबूर कर दिया।

यह वक्त,
मुश्किलों का दौर है।

दो तीन गज की दूरी,
कोरोना से बचने की गांरटी है,
अब हवाओ में कोरोना फैला है,
ऐ भाई मुँह,नाक ढककर चलो,
खुद अपने को बचाओ,औरौ को बचाओ,
यह जिन्दगी अब सस्ती मत बनाओ।

यह वक्त,
मुश्किलों का दौर है।

बहुत जी ली आजादी से,
अनुशासन हिनता ने लापरवाह बनाया,
विकास की अंधी दौर ने,
कई बिमारियों, महामारी लाया,
मौत के तांडव के बीच,
इन्सानो ने जीना न छोड़ा।

यह वक्त,
मुश्किलों का दौर है,

जरूरत है मन,तन में ध्येय रखे,
ज्यादे उतावला होने की,
अब जरूरत नहीं है,
जीना है तो संघर्ष हर हाल करना है।

यह वक्त,
मुश्किलों का दौर है।

ऐ भाई,देखो जरा बच्चो को,
खेलते कुदते, अंजान जीते,मस्ती से,
न भय है,न चिंता है,            अपनी जिन्दगी में मस्त है,
हो सके तो उनसे जरा सीखो।

यह वक्त,
मुश्किलों का दौर है।

   *  राम प्रकाश तिवारी*

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