भारत में एडोल्फ हिटलर और बेनिटो मुसोलिनी आज प्रसांगिक होते दिख रहे हैं

भारत में एडोल्फ हिटलर और बेनिटो मुसोलिनी

 आज प्रसांगिक होते दिख रहे हैं

योगी यह क्यों भुल जा रहे हैं कि कल वह भी विपक्ष मे हो सकते हैं ?



    जिस प्रकार जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में जर्मनी के शुद्धिकरण और राष्ट्रवाद के नाम पर 60 लाख बच्चे बूढ़े जवान शहीत यहूदियों का कत्लेआम किया था और जर्मनी से संपूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था को समाप्त कर तानाशाही सैनिक व्यवस्था लागू किया था उसी तरह 2002 में गुजरात गुजरात दंगे में हजारों अल्पसंख्यकों बच्चे बूढ़े महिलाओं सहित कत्लेआम किया गया था उसे आर एस एस भाजपा सरकार प्रायोजित तत्कालीन मुख्यमंत्री और आर एस एस का रोबोट नरेंद्र दामोदरदास मोदी की तुलना जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर से देश और दुनिया में होने लगी ।मानवता के पैरोकार बुद्धिजीवियों ने यह कहा था के नरेंद्र दामोदरदास मोदी के शरीर में हिटलर की आत्मा प्रवेश कर गई है और आज उत्तर प्रदेश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को ध्वस्त करने के कारण योगी आदित्य नाथ उर्फ अजय सिंह बिष्ट को जो उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं को इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी से तुलना की जा रही है क्योंकि मुसोलिनी ने भी इटली में सारी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को ध्वस्त कर तानाशाही व्यवस्था लागू की थी और उसने भी इटली में स्वयंसेवक संघ बनाया था जिसे फेशियों कहा जाता था फेशियो संघ के सदस्य फासिस्ट कहलाते थे और संपूर्ण इटली में आतंक मचाते चलते थे जो उनके विचार के विरोधी लोकतंत्र और मजदूर समर्थक थे उन्हें चुन चुन कर मारा पीटा जाता था भयभीत किया जाता था । 
जिस तरह आज भारत में मोब लिंचिंग के नाम पर हत्याएं की जाती है और विरोधियों को भयभीत किया जाता है । आज कहा जा रहा है की योगी आदित्यनाथ में बेनिटो मुसोलिनी का आत्मा प्रवेश कर गया है, विरोधी लोकतांत्रिक राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं नेताओं पर राष्ट्रद्रोह का केस किया जा रहा है कई दशक पहले की बात है एक प्रसिद्ध पत्रिका ने कार्टून छापा जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री एक छोटे से उजार गांव में भुखमरी से बेहाल चंद गरीबों से कह रहे थीं , कुछ विदेशी ताकत है, हमारी समृद्धि और विकास से जल रही है, उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री ने 50 साल बाद वही जुमला दोहराते हुए कहा कि प्रदेश में हो रहे विकास कार्य को बर्दाश्त न करने वाले कुछ ताकतें जातिवादी हिंसा भड़काना चाहती है उन का ब्रह्म ज्ञान उत्साही पुलिस अफसरों के लिए काफी था । हाथरस की दलित युवती के साथ दुष्कर्म और हत्या को लेकर नाराज राजनीतिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं पर 21 मुकदमा जातिवादी हिंसा भड़काने और सरकार को बदनाम करने के दबाव में ठोक दिए ,शायद सरकार के मुखिया को नहीं मालूम कि अगर सरकार किसी दलित बालिका की सुरक्षा नहीं कर पाती या उसकी लाश को रात के सन्नाटे में पुलिस के बूटों की आवाज में पूरे गांव को दहशत में रखकर जला देती है तो जनाक्रोश उभारना राजनीतिक दलों का दायित्व होता है और जागरूक जनता का उस पर सरकार के खिलाफ होना समान प्रजातांत्रिक प्रक्रिया है । वर्तमान सरकार भी इसी आधार पर अखिलेश यादव सरकार को बदनाम कर 3 साल पहले सत्ता में आई शायद इन अनपढ़ अफसरों को नए कानून तो छोड़िए संविधान का ज्ञान भी नहीं है एक शीर्षस्थ पुलिस अफसर ने कहा, बलात्कार नहीं हुआ क्योंकि एफएसएल रिपोर्ट में पुष्टि नहीं हुई है , उसे 2006 के बाद बदले कानून का ज्ञान नहीं था उसे यह भी नहीं मालूम की देशद्रोही धारा 124 अ किसी को सरकार के खिलाफ असंतोष पैदा करने या कोशिश करने मात्र पर घटना के खिलाफ प्रदर्शन या सोशल मीडिया पर लिखने पर लगती तो देश की संसद से लेकर मीडिया तक देशद्रोही हो जाना चाहिए क्योंकि उनकी रिपोर्ट पर ही यही स्थिति बनी है।
शायद नेहरू आज होते तो उन्हें लगता कि संविधान बनने के बाद संशोधन के जरिए अनुच्छेद 19 (2) के निर्बंधों (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक) में लोक व्यवस्था शब्द शामिल कर राज्य को निर्बाध शक्ति देना आज कितना महंगा पड़ रहा है सत्ता के नशे में भाजपा भी शायद भूल गई है कि रास्ता दिखाने के बाद कल वह भी विपक्ष में फिर हो सकती है उत्तर प्रदेश के विकास का ताजा नमूना है 2019 में कोरोना से पहले तक बेरोजगारी दर 5.1% से बढ़कर 9 .95% हो जाना है । मनोहर कुमार यादव ,पूर्व प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी पार्टी झारखंड

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