डाबर इंडिया ने झारखंड में मधुमक्खी पालन को व्यवसाय के रूप में बढ़ावा दिया

डाबर इंडिया ने झारखंड में मधुमक्खी पालन को 

व्यवसाय के रूप में बढ़ावा दिया



   रांची, 19 फरवरी 2021 : झारखंड में मधुमक्खी पालकों की मदद करने और मधुमक्खी पालन को व्यवाहारिक व्यवसाय बनाने के लिए, भारत के प्रमुख विज्ञान-आधारित आयुर्वेद दिग्‍गज डाबर इंडिया लिमिटेड ने रांची के बरियातू रोड स्थित वनवासी कल्याण केंद्र में एक वेबिनार की मेजबानी की। इस वेबिनार में 100 से ज्यादा मधुमक्खी पालकों ने हिस्‍सा लिया, जिन्हें डाबर इंडिया लिमिटेड की ओर से मधुमक्खी पालन के प्रयास में सहयोग मिला। इस वेबिनार में कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया, जिसमें विकास भारती के सचिव और पद्म श्री से सम्मानित डॉ. अशोक भगत, डाबर के जैव-संसाधन विकास टीम के एडवाइजर डॉ. बद्री नारायण और डाबर के जैव-संसाधन विकास टीम के हेड डॉ. पंकज रतूड़ी शामिल हैं।

ये वेबिनार राज्य में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए डाबर इंडिया लिमिटेड की ओर से की गई पहल का हिस्सा था। विकास भारती के साथ 2019 में की गई पहल के तहत डाबर ने राज्य में सफलतापूर्वक 12 ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया और प्रदेश के गुमला जिले में मधुमक्खी पालन के व्यवसाय को बढ़ावा देने और 200 लोगों को रोजी-रोटी कमाने में मदद के रूप में मधुमक्खियों के 1000 छत्तों का एक बॉक्स दिया है। डाबर और विकास भारती का लक्ष्य इस प्रोग्राम के तहत राज्य में 1000 मधुमक्खियों के छत्तों का बॉक्स प्रदान करने का है।
डॉ. पंकज रतूड़ी ने इस पहल के बारे में बताते हुए कहा, “मधुमक्खी पालन एक व्यवसाय के रूप में छोटे किसानों की काफी मदद कर रहा है और उनके लिए अतिरिक्त कमाई का साधन बन गया है। मधुमक्खी पालन में किसान परिवार और गांवों में दूसरे लोगों को रोजगार देने, आय बढ़ाने और उन्हें आर्थिक सुरक्षा देने की क्षमता है। डाबर में हम मधुमक्खी पालन के लिए जरूरी कौशल लक्षित समुदाय को सिखा रहे हैं और उन्हें लंबी अवधि में आमदनी के स्थिर साधन का सृजन करने में मदद कर रहे हैं। हम इस पहल से झारखंड में लोगों की जिंदगी बदलने में सक्षम बनाकर काफी खुश हैं।”
कार्यक्रम में उपस्थित माननीय अतिथि और पद्मश्री पुरस्कार विजेता डॉ. अशोक भगत ने कहा, “डाबर एक सम्मानित कंपनी है और कंपनी के प्रॉडक्ट्स कई सदियों से हमारी जिंदगी का हिस्सा बने हुए हैं। हम डाबर जैसे मशहूर ब्रैंड के साथ झारखंड में मधुमक्खी पालन के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए साझेदारी कर काफी खुश हैं। राज्य में हमारे स्थिर प्रयासों ने स्थानीय मधुमक्खी पालकों की मदद की है। इसमें खासतौर से आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले लोग शामिल हैं। इससे लोग एक स्थिर आय कमाकर अपने जीवन स्तर को सुधार पाएंगे। इसके लिए उन्हें अपने घर को छोड़कर दूसरी जगह नौकरी करने जाने की जरूरत भी नहीं महसूस होगी।”

डॉ. पंकज रतूड़ी ने बताया, “किसानों के लिए नियमित रूप से साइट पर ट्रेनिंग कैंप लगाए जाते हैं, जहां उन्हें मधुमक्खी पालन के लिए बॉक्स बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें वह मधुमक्खियों का पालन-पोषण करने और मधुमक्खियों के छत्तों को बढ़ाने का कौशल भी सीखते हैं। हम वैज्ञानिक ढंग से किसानों और ग्रामीणों को मधुमक्खी पालन के लिए आवश्यक सभी तरह की तकनीकी मदद मुहैया कराते हैं।”

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