पूंजी की तरह असमान वितरण टिको की ना की जाए ।

पूंजी की तरह असमान वितरण

 टिको की ना की जाए 

गरिमामय जीवन जीने का देश के सभी

 नागरिकों का समान अधिकार है





संविधान के अनुच्छेद 21 यह कहता है कि देश के सभी नागरिकों का गरिमामय जीवन जीने का मौलिक अधिकार है लेकिन जिस तरह की खबरें आ रही है जीवन बचाने के लिए वैक्सीन का महत्व आज बढ़ गया है लेकिन अमीर वर्ग टीके पर पैसे के बल पर कब्जा कर ले रहा है ।
जब असहाय कोरोना मरीज अस्पतालों के गेट पर दम तोड़ रहे हैं तब कुछ संपन्न लोग मात्र 22 लाख रुपए खर्च कर चार्टर विमान लेकर कोरोना से बचने दुबई जाने लगे क्योंकि रविवार के बाद अमीरात सरकार ने भारत के लिए विमान परिचालन बंद कर दिया लिहाजा निजी एयरलाइंस में भी 10 गुना किराए पर ओवर बुकिंग होती रही भारत में एक अभिजात भारत है और एक रोटी के लिए संघर्षरत भारत।

जब देश में 14 करोड़ लोग लॉकडाउन में रोजी-रोटी से वंचित हो रहे थे तो देश के कइ उद्योगपतियों की पूंजी उत्पादन बंद होने के बावजूद हर घंटे 90 करोड़ रुपए बढ़ती रही अमीर देशों ने दुनिया में अपनी मात्र 16% आबादी के बावजूद आधे से ज्यादा टीके महंगे खरीद कर या दबाव डालकर रख लिए आंकड़े बताते हैं कि 60% गरीब मुल्क ऐसे हैं जहां अगले 2 साल तक टीका नहीं मिल पाएगा क्या हम अपने को सभ्य समाज कहने के लायक हैं ?

भारत में उपलब्ध दो तरह के टिके की स्थिति देखें तो 12 किस्म के रेट है हालांकि केंद्र सरकार मुफ्त टीका का आज भी दावा कर रही है लेकिन निजी अस्पतालों में उनमें से एक टीका 12 सो रुपए प्रति डोज पर बिकेगा अधिकांश सरकारी केंद्र पहले ही टीके के अभाव में बंद है टीके का संकट होगा तो अभिजात वर्ग अपने लोगों को महगां टीका लगवा लेगा लेकिन गरीब असंगठित क्षेत्र का मजदूर दुकानदार या किसान कोरोना का शिकार बन जाएगा क्योंकि टीके की भयंकर कमी है ऐसे में कहां है टीके के लिए 35 हजार करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान ?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी के बजट मे वैक्सीन के लिए लिए 35 हजार करोड़ का प्रावधान करते हुए जरूरत पड़ने पर और भी राशि का प्रबंध करने का आश्वासन संसद में दिया था इस 35 हजार करोड़ रुपए से 234 करोड़ डोज का खरीद हो सकता था यानी कि देश के 139 करोड़ जनसंख्या में 117 करोड़ लोगों को दोनों डोज का टीका मुफ्त में लग सकता था और देश के 139 करोड़ लोगों के लिए दोनों डोज के मुफ्त टीका देने के लिए मात्र चार हजार करोड़ रुपए की और आवश्यकता थी लेकिन आज इसकी जमीनी हकीकत क्या है यह हम सब जान रहे हैं क्योंकि जिस तरह मोदी सरकार अपनी शुरुआती दौर से ही जन कल्याण की अनेकों योजनाओं का घोषणा धरातल पर नहीं उतरी उसी तरह इस महामारी को नियंत्रण करने के लिए की गई घोषणाएं भी आसमानी घोषणाएं ही साबित हुई। देश के कई हिस्सों में करोड़ों लोग टीका लगाने के लिए लाइन में लगे लगे बिना टिकट लिए ही घर वापस हो जाते हैं और देश के कई हिस्सों में टीकाकरण केंद्र टीके के अभाव में बंद हो गए हैं लेकिन दुनिया से अपनी बांह पुजवा ने के लिए और विश्व गुरु कहलाने के लिए भारतीय टीको का लगभग 7 करोड डोज निर्यात किया गया और अब विदेशों से टीके मंगवाने के लिए टेंडर निकाला जा रहा है उसी तरह देश को शर्मसार करने वाली घटनाएं दिल्ली में जो कि देश की राजधानी है और केंद्र सरकार के नाक के नीचे हैं ऑक्सीजन के बिना सैकड़ों लोग अपनी जानें गंवा चुके लेकिन फिर भी ऑक्सीजन की 90 हजार मैट्रिक टन निर्यात किया गया जबकि देश में ऑक्सीजन की प्रतिदिन खपत मात्र 5000 मेट्रिक टन है और उत्पादन 7282 मेट्रिक टन प्रतिदिन है इसी तरह जीवन रक्षक दवा रेमडेसीविर का भी धड़ल्ले से निर्यात किया गया और भारत में इस दवा के बिना हजारों जाने चली गई और खुलकर इस दवा की कालाबाजारी हो रही है देश और दुनिया में इस मामले में मोदी सरकार की जग हंसाई होने पर मोदी सरकार ने हाल ही में ऑक्सीजन को महामारी एक्ट के दवा के रूप में शामिल किया है जब दिल्ली हाई कोर्ट और देश के सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की जमकर फटकार लगाई।

नोट-: कोई आश्चर्य की बात नहीं कि कुछ अंधभक्त लोग इसे भी फेंक न्यूज न बता दे। मनोहर कुमार यादव पूर्व प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी पार्टी झारखंड

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