लालू के डीएलएफ मामले से क्लीनचिट को 3 साल तक दबाए रखी मोदी सरकार : मनोहर कुमार यादव

लालू के डीएलएफ मामले से

 क्लीनचिट को 3 साल तक 

दबाए रखी मोदी सरकार :

 मनोहर कुमार यादव




22 अगस्त 2017 कि पटना के गांधी मैदान में राजद की विशाल रैली से भाजपा आर एस एस और मोदी के होश उड़ गए थे। 14 गैर भाजपा दलों के नेता पटना के गांधी मैदान की अभूतपूर्व रैली में शरीक हुए थे , रैली को विफल और स्थगित कराने के लिए मोदी सरकार ने अनेकों कोशिश की लेकिन विफल रहे यहां तक की रैली में शामिल होने वाले कई नेताओं को कई छोटे-छोटे दलों को केंद्र सरकार में मंत्री पद का भी ऑफर मिला ताकि वे इस रैली में शामिल ना हो सके सीबीआई के माध्यम से भी मोदी जी इस रैली को विफल और स्थगित कराने में प्रयासरत थे ,सीबीआई चाहतीं थी कि रैली के दिन ही लालू प्रसाद को सशरीर कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश जारी करा दिया जाए लेकिन लालू प्रसाद भी दूरदर्शी राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं हो सकता है इस तरह के साजिशों का आभाश उन्हें पहले ही मिल गया हो इसलिए पटना की रैली अवकाश के दिन रविवार को रखा गया था। इससे पहले आय से अधिक मामले में भी लालू प्रसाद बाइज्जत बरी किए गए थे। सीबीआई का कितना गलत इस्तेमाल होता है एक उदाहरण सपा संस्थापक और देश के पूर्व रक्षा मंत्री श्री मुलायम सिंह यादव के मामला भी है आय से अधिक मामला बनाकर मुलायम सिंह यादव को परेशान और कलंकित करने का कई बार प्रयास किया गया आय से अधिक मामले बंद हो जाने के बाद भी 13 बार खोला गया और कुछ नहीं मिलने पर फिर मामला को बंद किया गया। डीएलएफ रिश्वत मामले के माध्यम से लालू प्रसाद के बेटे बेटियों को राजनीतिक रूप से परेशान करने की कोशिश की गई थी क्योंकि 22 अगस्त 2017 कि पटना के रैली ने भाजपा आर एस एस और नरेंद्र मोदी की नींद उड़ा दी थी आधा से ज्यादा बिहार बाढ़ ग्रस्त था उसके बावजूद मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक लगभग 25 लाख लोग पटना में एकत्रित हुए थे और इसी को 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव मे भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ शंखनाद माना गया था लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को आपने मंच से शंख फूंक कर भाजपा भगाओ देश बचाओ रैली का शंखनाद किया था , डीएलएफ रिश्वत मामले में सीबीआई के निदेशक शिवराज सिंह चौहान के चहेते और नरेंद्र मोदी के पसंद ऋषि कुमार शुक्ला के कार्यकाल में अर्थात 2019 में ही लालू प्रसाद को और उनके बेटे बेटियों के खिलाफ कोई साबुत नहीं मिलने के कारण फाइल को बंद कर दिया गया था लेकिन उस क्लोजर रिपोर्ट पर लगता है कि अभी हाल के दिनों में ही केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है इसलिए यह मामला अभी एक-दो दिन पूर्व लिक हुआ विधिवत जारी नहीं किया गया है बल्कि मीडिया अपने स्रोतों के माध्यम से इस को उजागर करने का काम किया है यह वहीं सीबीआई निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला है जिन्हें मध्य प्रदेश के कांग्रेस के कमलनाथ सरकार ने 5 दिन पहले मध्य प्रदेश के डीजीपी पद से हटाया था और मात्र 5 दिन बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने समिति के सदस्य के विरोध के बावजूद निदेशक बनाया था निदेशक नियुक्ति के नियम के अनुसार 3 सदस्य समिति मे होता है जिसमें प्रधानमंत्री विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस इसके मेंबर होते हैं विपक्ष के नेता के हैसियत से कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खरगे ने ऋषि कुमार शुक्ला के नियुक्ति का विरोध किया था लेकिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने समर्थन किया इसलिए 2-1 के बहुमत से ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई का निदेशक बना दिया गया था।

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