अगर केंद्र सरकार के इस माइंडसेट पर तत्काल अंकुश न लगा तो यह प्रजातंत्र के लिए बुरा दिन होगा : दिल्ली हाई कोर्ट

अगर केंद्र सरकार के इस

 माइंडसेट पर तत्काल अंकुश 

न लगा तो यह प्रजातंत्र के 

लिए बुरा दिन 

होगा : दिल्ली हाई कोर्ट

केंद्र सरकार के हठधर्मिता तो देखिए

 जिस सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते पहले 

केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई 

उसी सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार 

अपील करने पहुंची 

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार 
की अपील खारिज किया




प्रजातंत्र की खूबसूरती यही है कि जब कोई संस्था या सरकार अपने खिलाफ विरोध दबाने के क्रम में सभी हदें पार करती है तो कोई ना कोई अन्य संस्था उसे रास्ता दिखाती है मुमकिन है कि सत्ता के नशे में उसे वह राह न दिखे लेकिन इससे बना जनमत का दबाव उसे शर्मिंदा होने की सीमा में फिर वापस लाता है या उसे जनता की नजरों से गिरा कर सत्ता से हटा देता है।

सवा साल पहले हुए दिल्ली दंगों के मामले में साल भर बंद 3 छात्रों को जमानत पर रिहा करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि अपने खिलाफ उठी आवाज को दबाने के दु:शाहस में शासन ने संविधान प्रदत विरोध के अधिकार और आतंकी गतिविधियों के बीच की रेखा को मिटा दिया अगर सरकार के इस माइंडसेट पर तत्काल अंकुश न लगा तो यह प्रजातंत्र के लिए बुरा दिन होगा । दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है कोर्ट ने हिदायत दी कि गंभीर धाराएं हर किस्म के विरोध में न लगाई जाए अन्यथा इन धाराओं का वजन कम होता जाएगा। अभियोजन पक्ष ने यूएपीए (आतंकी कानून) की आतंकी धाराएं लगाकर पिछले 1 साल से इन छात्रों को जेल में रखा है कोर्ट ने कहा इस देश की बुनियाद मजबूत है और वह कॉलेज में कुछ युवाओं के किसी जुलूस या भाषण से नहीं हिल सकती ।

अभी 1 हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी एक केस में केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सरकार की नीतियों के खिलाफ समान ढंग से किया गया विरोध राज्य के ख़िलाफ़ द्रोही परिभाषा में नहीं आता इन तीनों छात्रों की जमानत न देने की सरकारी अपील खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा न तो यह भागने जा रहे हैं न इतने ताकतवर हैं कि गवाहों को धमका या प्रभावित कर सकेंगे क्योंकि अधिकांश पुलिस संरक्षित और पुलिस गवाह है ।

आज राज्य की दंड नीति अभियुक्तों को सुनवाई पूर्व जेल में ठुसने की बन चुकी है।

प्रजातंत्र में सरकार भले ही सत्ता के नशे में इसे अनसुना कर दें लेकिन कोरोना के कुप्रबंधन से आहत जनता को यह टिप्पणी सोचने को मजबूर करती है।

मनोहर कुमार यादव पूर्व प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी पार्टी झारखंड

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