जब मैं बहुत छोटा बच्चा था
जब मैं बहुत छोटा बच्चा था। तब की दुनिया बेहद खूबसूरत परंतु आज की दुनिया से अलग थी। उस समय का वातावरण एकदम अलग था। लोग घर में दिया जलाते थे। बहुत कम घरों में लालटेन एवं लैम्प थे। बिजली तो सिर्फ किताबों से पता चला था। परंतु उस दौर का संस्कार उत्तम था। जब मैं स्कूल से निकल कर शहर गया तो वहां दुनिया भिन्न थी। परंतु हमारे शिक्षकों ने शिक्षा के साथ जो संस्कार दिया, वही मेरे जीवन की पूंजी है।कभी भी गलत माध्यम से कोई भी चीज हासिल नहीं करनी है। मेरिट एवं उच्च भावना ही जीवन में मान मर्यादा दिलवा सकती है। मध्य विद्यालय, खधैया से जीवन की शुरुआत हुई। इसी विद्यालय में जीवन की नींव तैयार हुई। मैं मध्य विद्यालय ,खधैया के सभी शिक्षकों का जीवन भर आभारी रहूंगा। विशेषकर, हमारे प्राचार्य श्रद्धेय भीम नारायण दास एवं विज्ञान शिक्षक श्रद्धेय शाहिद आजम। इन दोनों की भूमिका मेरे जीवन में अतुलनीय है। फिर शिक्षा का सोपान बढता गया। फिर जब ST. Columba's college से B. SC. ( Maths Honorous) कर रहा था, तब भी बहुत ही विद्वान शिक्षकों से ज्ञान प्राप्त किया। फिर पटना, दिल्ली में भी बहुत ही विद्वान शिक्षकों से ज्ञान प्राप्त किया। सभी विद्वानों में, मैंने एक साम्यता देखी कि उन सभी ने अपने जीवन में कठोरतम तप यानि परिश्रम किया था। सभी के बारे में अलग से लिखना संभव नहीं है परंतु सभी का जीवन भर आभारी रहूंगा। जब मैं दिल्ली विश्वविद्यालय के Campus Law Centre से विधि शिक्षा का विद्धार्थी तब मैने बौद्ध धर्म गुरु दलाईलामा का व्याख्यान सुना। वह अद्भुत एवं अविस्मरणीय है। वैसे Campus Law Centre में विद्वान शिक्षकों की भरमार थी। परंतु प्रोफेसर कमला शंकरण, प्रोफेसर नोमिता अग्रवाल एव प्रोफेसर S. C. RAINA का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में माननीय पूर्व मुख्य न्यायाधीश आर. एम. लोढा एवं माननीय पूर्व मुख्य न्यायाधीश सदाशिवम के द्वारा बहस दौरान दिया गया सारतत्व भी अविस्मरणीय है। मैं अपने सभी पूर्व शिक्षकों एवं विद्वान न्यायधीशों को श्रद्धा से नमन करता हूँ। आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। अधिवक्ता शेखर प्रसाद गुप्ता।
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