आम्रपाली परियोजना के अधिकारी के नीतियों से विस्थापित परिवार आज भी रोज़गार के लिए हो या अधिकार के लिए दर- दर ठोकरें खाने को विवश

आम्रपाली परियोजना के अधिकारी के नीतियों से

 विस्थापित परिवार आज भी रोज़गार के लिए हो या

 अधिकार के लिए दर- दर ठोकरें खाने को विवश





ब्यरो चीफ - कुन्दन कुमार की रिपोर्ट

टंडवा:- ( चतरा ) अप्रापली परियोजनाओं में काली कमाई करने वालों अधिकारियों का आज की दौर में बल्ले- बल्ले है आम्रपाली की खेल किसी ने अगर अधिकार के लिए आंदोलन किया तो झूठा मुक़दमा कर उसे दबाने का खेल सीसीएल के अधिकारी जी.एम.,पी.ओ. द्वारा किया जाता है। आज के समय में आम्रपाली परियोजना में विस्थापित रैयतों को करीब लगभग लोंगों को कुछ ना कुछ में मुक़दमा दर्ज कर शिकंजा कसने का कार्य देखने को मिलाता आ रहा है।अबतक टेंडर फंडिंग के मामला में कितने ग्रमीण जेल के सलाखों में हैं पर कुछ सीसीएल के अधिकारियों की अहम भूमिका इसमे है, आम्रपाली खुलवाने के समय सीसीएल के अधिकारी टेंडर फंडिंग में सहभागिता निभाने वालें अधिकारी आज पी.ओ.से जी.एम. हो गए ,पर उस पर कार्रवाई क्यों नहीं हुआ ,या कोयला चोरी खेल में सीसीएल के अधिकारियों पर क्यों नहीं जल्द करवाई किया जाता है। सीसीएल द्वारा अवैध पैसे का भी खेल चलता है पर उस पर जाँच कर करवाई क्यों नहीं हो रही ?

*आम्रपाली परियोजना खुले आज सात साल हो जाने के बाद भी विस्थापित परिवारों के लिए विस्थापन नीति लागू क्यों नहीं किया गया?
विस्थापित परियोजना से पूरे देश को बिजली की जगमगते उजाला में रखने वालें भूमि दताओं को आज भी बिजली मुफ्त क्यों नहीं मिलती है?
*आम्रपाली परियोजनाओं में आज भी जनरेटर ( डिजेमशीन ) के माध्यम से उत्खन कोयला डिस्पेच होता है आख़िर इसका क्या राज छुपा है?
विस्थापित भूमि दताओं आज सात सालों से नौकरी,शिक्षा, स्वस्थ के लिए राह जोह रहें हैं आख़िर सी.एस.आर. के तहत विकास की क्यों नहीं दिखाई देता है ?
क्या आम्रपाली परियोजना क्षेत्र में सिर्फ सीसीएल के अधिकारियों को सिर्फ़ पॉस्टिंग हीं मिलता रहेगा ? भू दताओं को मूल भूत सुविधाओं से वंचित रखना कँहा की नीति है सीसीएल की, अधिकारी कहतें हैं कि सीसीएल द्वारा कोई पैसे की वसूली नहीं होता है ,पर कैसे प्रतिनिधि आज बोल रहें हैं की सीसीएल में 17 रुपये प्रति टन वसूली होता है ? रह जाँच का विषय है।

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