कोयलांचल का हाल-बेहाल, ग्रामीण जोह रहे हैं वर्षों से बदलाव की बाट

कोयलांचल का हाल-बेहाल, 

ग्रामीण जोह रहे हैं वर्षों से बदलाव की बाट






शशि पाठक टंडवा (चतरा) कोयलांचल नगरी टंडवा की मशहूर मगध-आम्रपाली कोल परियोजना इन दिनों अपने कुख्यातों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। वैसे यहां के किस्से और राज़ सागर से भी अनंत गहरा है। वहीं दिन ब दिन सनसनीखेज हो रहे खुलासों ने आमलोगों को चिंतन और मनन करने के लिए मजबूर कर दिया है।यह चिंता भी होना आमलोगों का स्वाभाविक है कि कोल ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों ने जिस तरह से स्थानीयों की उपेक्षा कर हो रहे यहां के संसाधनों के दोहन में वन,परिवहन, पर्यावरण व प्रदूषण विभाग के रहमोकरम के कारण तमाम नियमों-कानूनों को ताक पर रखकर सीसीएल और ट्रांसपोर्टिंग कंपनियां कर रही है उससे सरकारी सिस्टम का संदेहों के दायरे में आना स्वाभाविक हो गया है। आम्रपाली से शिवपुर रेलवे साइडिंग तक कोल परिवहन कंपनी आरकेटीसी-बीएलए के संदर्भ में उन तथ्यों का उल्लेख करना यहां प्रासंगिक हो जाता है जब वन विभाग ने सूचनाधिकार अधिनियम के तहत प्रदत सूचना में पत्रांक 2401 दिनांक 29/09/21 को उल्लेख करते हुए कहा है कि नौडीहा के प्लाट संख्या 293 का रकबा 57.50 एकड में 14.37 एकड वनभूमि है जिसमें उक्त भूमि से आरकेटीसी ट्रांसपोर्टिंग कंपनी को कोल परिवहन हेतू प्रमंडल द्वारा अनापत्ति प्रमाण-पत्र नहीं दिया गया है। वन विभाग ने माना है कि उक्त ट्रांसपोर्टिंग सड़क को आरकेटीसी-बीएलए कंपनी द्वारा कोल परिवहन के लिए अवैध रूप से जंगल अतिक्रमण कर सड़क बनाया गया है। दिलचस्प बात तो यह है कि वन विभाग के डीएफओ आरपी सुमन एवं रेंजर मुक्ति प्रकाश पन्ना ने दिनांक 19 अगस्त को बेरियाटांड जंगल में अवैध ट्रांसपोर्टिंग सड़क पर वृक्षारोपण एवं 29 अगस्त को हांडू जंगल से सड़क के निर्माण कार्य में लगे एक लोडर संख्या जेएच 13 एफ 3858 को ज़ब्त कर की गई कार्रवाई पर चर्चा आम है कि यह आरकेटीसी जेवी पर दबाव बनाकर दोहन करने के लिए दिखावे की कार्रवाई थी।29 अगस्त को आम्रपाली-शिवपुर सड़क काटकर कोल परिवहन सड़क अवरूद्ध किया गया था और महज चार घंटे के अंदर हाइवोल्टेज ड्रामा के बाद पुनः चालू भी कर दिया गया! दूसरी ओर,जब्त लोडर अब भी टंडवा वन विभाग के शिकंजे में है जबकि आरकेटीसी के सैंकड़ों वाहन उक्त सड़क से प्रतिदिन कोल ट्रांसपोर्टिंग कैसे किया जाता है, निश्चित हीं जांच का विषय होना चाहिए।ताकि प्रभाव, प्रलोभन या पैसों के खेल का भांडाफोड हो। दूसरी ओर परिवहन विभाग भी इस मामले में आरकेटीसी-बीएलए के द्वारा अनवरत ओवरलोडिंग कोल परिवहन पर मेहरबान दिखता है। नवंबर में 14 चक्का वाहन जेएच 10 सीजी 2113 से स्लीप संख्या 22193 में नेट वेट 47850 टन ,18 चक्का जेएच 01 ईके 3197 से स्लीप संख्या 22188 से नेट वेट 41900 टन कोल परिवहन रिकार्ड दर्ज है। वहीं दिसंबर में 34706 जेएच 10 सीजी 2283 से 44950 टन एवं स्लीप संख्या 34707 टी 1021 सीजी1111 एफ में नेटवेट 44620 टन कोल परिवहन का रिकार्ड शामिल है। वहीं हालिया रिकार्ड की बात करें तो 17 दिसंबर को स्लीप संख्या 41010,41043,41042 सहित अनेकों में ओवरलोडिंग बेखौफ जारी है। सूत्रों की मानें तो अधिकारियों का आंखें मूंदे रहना महज संयोग कतई नहीं हो सकता। बल्कि इसके लिए भारी फंडिंग होती है जिसका उच्चस्तरीय जांच हो तो कई बड़े सफेदपोशों के नाम सामने आ सकते हैं। यहां होने वाले स्थानीय ग्रामीणों एवं भूरैयतों का क्रमवार आंदोलन चाहें रोजी-रोजगार का हो या बकाए मुआवजा भुगतान, प्रदूषण रोकथाम, कामगारों का समुचित मजदूरी सभी आर्तनादों को सरकारी महकमों एवं कंपनी के मातहतों द्वारा दबा दिया जाता है। आम्रपाली और मगध परियोजना में अवैध रूप से कोयले की हो रही चोरी का सनसनीखेज मामला भी प्रकाश में आ चुका है। स्थानीय वाहन मालिकों के विभिन्न ट्रांसपोर्टरों द्वारा करोड़ों रुपए का बकाया पर वाहन मालिक एसोसिएशन ने विरोध और कोल परिवहन बंद तक कराया बावजूद कोई सुगबुगाहट नहीं होने से उनका प्रतिरोध वापस लेना मजबूरी बन गई है जिसे सभी भुनाते हैं। बड़ा कारण है,ऋण पर लिए गए स्थानीय वाहन मालिकों के वाहनों का भारी-भरकम किस्तों का भुगतान करना। हां, एक धड़ा तमाम विसंगतियों के प्रतिरोध में डटकर खड़ा है। माननीय उच्च न्यायालय में डब्लूपीसी जनहित याचिका केस संख्या 4580 वर्ष 2021 के जरिए दर्ज कराकर अनेकों विभाग के अधिकारियों को न्याय के दहलीज तक ले जाने का कार्य किया गया है।जिसपर अनेकों लोगों की प्रशंसा और न्याय की उम्मीदें बंधी हैं। अब, आने वाले समयों में देखना दिलचस्प होगा कि बदलते घटनाक्रमों से यहां किस तरह का सुरतेहाल बदलता है।

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