आदिवासी मूलवासी संगठन ने मगही भोजपुरी, मैथली और अंगिका भाषा राज्य में लागू करने के विरोध में मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रियों का पुतला दहन

आदिवासी मूलवासी संगठन ने मगही भोजपुरी,

 मैथली और अंगिका भाषा राज्य में लागू करने के

 विरोध में मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रियों का पुतला दहन





आज दिनांक10/2/2022 को विभिन्न आदिवासी- मूलवासी संगठनों के तत्वाधान में मगही,भोजपुरी,मैथिली और अंगिका भाषा को राज्य में लागू करने के विरोध में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं सभी कैबिनेट मंत्रियों का अल्बर्ट एक्का चौक पर चौक पर पुतला दहन किया गया
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री सह अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के गीताश्री उरांव ने कहा कि झारखंड में भोजपूरी मैथिली,मगही और अंगिका भाषा के रूप में झारखंड में लागू कर के हमारी भाषा,संस्कृति सभ्यता पर भी हमला किया जा रहा है l यह हम लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे और जब तक बाहरी भाषा को सरकार वापस नहीं लेती है तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगाl और सरकार सें मांग करते है की जन जातीय भाषा सहित नौ छेत्रीय भाषा क़ो झारखण्ड मे लागु किया जाये l अगला कार्यक्रम हमारा 28 फरवरी 22को पूरे रांची सहित पुरे झारखंड में मानव श्रृंखला का कार्यक्रम होगा l
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री देव कुमार धान सह अध्यक्ष आदिवासी महासभा ने संबोधित कर कहा जिस उद्देश्य सें झारखंड निर्माण हुआ था आज पूरा नहीं हो रहा है l झारखंड की भाषाई पर हस्तक्षेप करना झारखंड के अस्मिता को समाप्त करना है l और इसके लिए झारखंड की समाज को आगे आने की आवश्यकता है l
आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने कहा झारखंड आंदोलनकारियों का राज्य रहा है झारखंड की नौकरी भाषा कारोबार हमारी जमीन ही नहीं लूटी बल्कि यहां की प्राकृतिक,संस्कृतिक विरासत पर भी हमला किया जा रहा है l झारखंड स्टेट झारखंड झारखंड क्योंकि सहादत से बना और हम अपना हक संघर्ष के बल पर लेकर रहेंगेl झारखंड में सभी भाषा का सम्मान करते हैं परंतु उसकी कानूनी मान्यता देने पर हमारा हक छिना जा रहा हैl इसका हम पुरजोर विरोध करते हैंl झारखंड मे माफिया तत्व,अराजकतावादियों, उपनिवेशवाद का चारागाह बना हुआ है l और यह बर्दाश्त से बाहर है l
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि हेमंत सरकार प्रतिदिन आदिवासियों के मुद्दे स्थानीय नीति,भाषा संस्कृति पर लागु न कर राज्य के बाहर की भाषा के भोजपुरी मैथिली, मगही, अंगिका भाषा क़ो झारखंड में लागू किया जा रहा है l इसका पुरजोर विरोध करते हैंl इसके लिए मुख्यमंत्री सहित पूरे कैबिनेट मंत्री दोषी हैं।झारखंड के आदिवासी मुलवासी फलावर नही फयर है।
झारखंड दलित संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवपाल नायक ने कहां की झारखंड के सभी आदिवासी मूलवासी विधायक इस विषय पर चिंतन करने की आवश्यकता है मैं तो झारखंड की जनता माफ नहीं करेगी l
इस कार्यक्रम मे बबलू मुंडा (केंद्रीय सरना समिति ) अभय भूट कुवर , आजम अहमद, राम पोदो महतो प्रीतमलोहरा,सुंदरसी मुंडा ,शिवटहल नायक, कृष्णकांत टोप्पो,किस्टो कुजूर , सेलीना लकड़ा,रंजीत लोहरा, सोभा कच्छप अनीता गाड़ी अजीतउरांव प्रवीण कच्छप,अजय ओडिया ,लाला महली, सुरेंद्र लिंडा, अशोक मुंडा, कामेश्वर बेदिया, दीपक मुंडा, देवेंद्र ताती, सागर नायक, शशि मुंडा, अमित कच्छप,विक्की तिर्की अनिल उरांव,अमर मुंडा,पवन तिर्की, सिकंदर मुंडा,सुरेश मुंडा, कैलाश हेमरोम, उमेश लोहरा मनीष मुंडा रोहित मुंडा शिवराज मुंडा अनुज मुंडा संगीता टोप्पो, शकुंतला उराव, अनूप मींज,सुरेंद्र उराव, सुमित उरांव, आशीष महतो,संदीप उरांव आदि शामिल हुए l

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