रांची अवर निबंधक कार्यालय : विजय कुजूर और प्रभात कुमार का सिक्का यहां बोलता है, अवर निबंधक चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते (?)

रांची अवर निबंधक कार्यालय : विजय कुजूर और

 प्रभात कुमार का सिक्का यहां बोलता है, अवर

 निबंधक चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते (?)


                                     








रांची, अवर निबंधक कार्यालय में एक कर्मचारी हैं विजय कुजूर, समाचार संकलन के क्रम में जब भी विजय कुजूर मिलते हैं वह कहते हैं "मेरे विषय में कुछ छापिए " इस तरह की बात श्री कुजूर ने कई बार कहा है इतना हीं नहीं श्री कुजूर ने वही बात आज पुन:दोहराया है, अब यह सोचने वाली बात है कि श्री कुजूर का उक्त कहना एक पत्रकार के पत्रकारिता को चुनौती है या एक पत्रकार पर कटाक्ष है (?) आज विजय कुजूर को यह कह हीं दिया गया "तो अच्छा अब आप के विषय में हकीकत छाप हीं देते हैं! " हम यह बताते चलें कि श्री कुजूर के विषय में यह चर्चा है कि जब वह चाईबासा में थे तब भी उन पर एक मामला उठा था, वह मामला जांच में गया था, परंतु उस पर अबतक क्या हुआ मालूम नहीं! श्री कुजूर पर एक मामला विधान सभा में भी उठा था परंतु उस पर भी काररवाई संभवत:नहीं हुई है, शायद यही वजह है कि श्री कुजूर को यह घमंड हो गया है कि उनका कोई कुछ बिगाङ नहीं सकता संभव है उनका यही ख्याल एक पत्रकार का उपहास उङा रहा है यह कहकर कि "मेरे विषय में कुछ छापिए " हम शांत थे चुप थे यह सोच कर कि रांची अवर निबंधक कार्यालय के नकल विभाग के प्रभारी क्लर्क पर क्या छापना (?) परंतु कीचङ जब उछल कर मुंह पर आ जाए तो उसे साफ करना हीं पङता है! ज्ञात हो कि श्री कुजूर के सहयोगी हैं प्रभात कुमार श्री कुमार अनुकंपा पर अवर निबंधक संतोष कुमार के समय में लाए गये थे। फिलहाल तो रांची अवर निबंधक कार्यालय में विजय कुजूर और प्रभात कुमार की मनमानी है, यहां आम आदमी को नकल 6-7 माह तक नही मिलता परंतु पैसों की मनमुताविक चढावा चढाने पर नकल जल्दी मिल जाता है, श्री कुजूर और श्री प्रभात का रूतवा यहां इतना ज्यादा है कि इनके सामने अवर निबंधक वैभव मणि त्रिपाठी की रूतवा फीका है (?) इसीलिए तो हम बार -बार कहते आ रहे हैं कि रांची अवर निबंधक कार्यालय में कुछ नहीं बदला है सिर्फ पर्दा बदला है, कैसा लगा विजय जी (?) आपके कहने पर आपके विषय में छाप दिए हैं! फोटो लेते वक्त आप अपना पीठ घुमा लिए थे लाल जैकेट में ग्रीन घेरे वाली तस्वीर आपहीं की है।

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