युवा जागरण
हो नीति प्रीत से पूर्ण युवा
गृह की मर्यादा मान रहे
हर मानव में मानवता हो
परित: समता का भान रहे
हे पुरुषोत्तम हे दया सिंधु
चेतना का दिव्य प्रकाश करो
हर युवा प्रतापी बने यहां
तत्क्षण कुकर्म का नाश करो
रग -रग में तेज का पुष्प खिले
सद्कर्मो की हरियाली हो
धर्म,संस्कृति की खुशबू फैले
भारत की छटा निराली हो
"ममता" चाहे इस अंबर के
सूरज में जब तक लाली हो
सज्जनता हो हर पेड़ों पर
सुविचार सजी हर डाली हो
ममता उपाध्याय
वाराणसी
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