बकस्वाहा जंगल के वृक्षो में 17 राज्यो के पर्यावरण योद्धाओ ने बांधा रक्षासूत्र

बकस्वाहा जंगल के वृक्षो में 17 राज्यो के 

पर्यावरण योद्धाओ ने बांधा रक्षासूत्र









    बक्सवाहा जंगल बचाओ अभियान के तहत देश के विभिन्न प्रान्तों से धरातल पर कार्य कर रहे कई समाजिक संगठनों का पूर्व निर्धारित समयानुसार दिनाँक - 01/08/21 से 03/08/21 तक जबलपुर के जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय, अधारताल में महाजुटान हुआ। इन तीन दिवसीय कार्यक्रम दिनाँक 01/08/21 को समर्थ गुरु भैया जी ने दीपप्रज्वलन और राष्ट्रगान के बाद कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। सभा मे राष्ट्रप्रेम और प्रकृति प्रेम की अद्भुत छटा छाई हुई प्रकृति संरक्षण का जोश सभी मे भरा पड़ा दिख रहा था।
इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के छतरपुर जिलान्तर्गत बक्सवाहा जंगल के संरक्षण के लिए मध्यप्रदेश, बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, दिल्ली, पंजाब, इत्यादि प्रदेशो के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि जीवित रहने के लिए जल, जंगल और जमीन का संरक्षित होना जरूरी है। सनातन संस्कृति में प्रकृति के सुरक्षा में धर्म, धरा और धेनु का अहम योगदान है। इस तीन दिवसीय समर्थ राष्ट्रीय प्रकृति पर्यावरण चिंतन शिविर आयोजित करने का मूल मकसद ही देश के विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अपना योगदान दे रहे पर्यावरण प्रेमियों का महासंगम इस बात की पुष्टि करता है, सभी को पर्यावरण संरक्षण की चिंता है। इस त्रिदिवसीय चिंतन शिविर से उसका निष्कर्ष निकाल कर एक दिशा देने का प्रयास होगा।
विधि सत्र में NGT में बक्सवाहा जंगल के संरक्षण हेतु दायर याचिका को देख रहे अधिवक्ता द्वारा बताया कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कानून के नियमो का अनुपालन कैसे कर सकते हैं, जिससे तत्काल प्रभावी बनाया जा सकता है। सभा मे उपस्थित सभी लोगो को पोस्टकार्ड उपलब्ध भी कराया गया ताकि बकस्वाहा जंगल के संरक्षण हेतु पत्र भी भेजा जा सके। ये मुहिम पूरे देश मे भी चलाने पर जोर दिया गया। विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए सभी पर्यावरण योद्धा अपने परिचय के साथ अपने प्रान्तों में व्याप्त पर्यावरण समस्या को सुधारने और जागरूकता के साथ युवाओं के आपसी सहयोग से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बेहतरीन प्रयास करने का संकल्प भी लिया गया। सभी पर्यावरण योद्धाओ के द्वारा जागरूकता पदयात्रा के साथ नर्मदा के तट पर आगमन के साथ पूजन वंदना, पर्यावरण संरक्षण हेतु संकल्प, कैलाश धाम की यात्रा भी की गई । बकस्वाहा जंगल के भ्रमण के दौरान वृक्षो में रक्षासूत्र भी बांधा गया, वृक्षो से चिपक कर चिपको आंदोलन की स्मृतियों को स्मरण कराया गया, साथ ही संकल्प लिया गया की आवश्यकता पड़े तो पुनः पूरा देश एकत्रित होकर बकस्वाहा जंगल के संरक्षण के लिए आवाज बुलंद किया जाएगा। आज लाखो लोग इस अभियान से जुड़े हुए हैं, साथ ही माननीय प्रधानमंत्री से आग्रह किया गया कि हमे हीरा नही ऑक्सीजन चाहिए, तुच्छ हीरे के कारण प्राकृतिक संसाधनों को खत्म किया जाना समझ से परे है, इसकी रक्षा किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम के अंत मे सामूहिक बैठक तीन दिनों की यात्रा पर निष्कर्ष निकाला गया की देश के सभी निजी संगठनों और व्यक्तिगत रूप से कार्य कर रहे पर्यावरण योद्धाओ की एक टीम तैयार किया जाए जिसमे राज्य स्तर से ग्रामीण स्तर तक के पर्यावरण योद्धाओ को जोड़ा जाए, ताकि संरक्षण की दिशा में और बेहतरीन कार्य किया जा सकें। जंगलो की रक्षा और स्थानीय ग्रामीणों के जीवकोपार्जन हेतु लघु एवं कुटीर उद्योग की स्थापना किया जाए। जिसमें वनुपज की संख्या पर गौर करते हुए निर्णय की जरूरत है। इस कार्यक्रम में कमलेश कुमार सिंह उद्घोष फाउंडेशन झारखण्ड, संजय कुमार बबलू, भूपेंद्र जी, राखी जी, मिथलेश जी, मंजूषा गौतम, आर आर उपाध्याय, कृति केशव, अर्चना जी, राजा महाराज, टी के सिन्हा, पल्लवी जी, सुरेंद्र साहु, आस मोहम्द, आदेश जी, प्रीति जी, गुलाब चंद, मास्टर गौतम, विकास जी, रोहित जी, वेंकयी जी, रितेश जी इत्यादि के साथ सैकड़ो की संख्या में विभिन्न प्रदेशों से आए पर्यावरण योद्धा उपस्थित रहें।

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