रांची महावीर मंडल के
वर्तमान विवाद पर प्रमोद
श्रीवास्तव की प्रतिक्रिया
प्रमोद श्रीवास्तव
सर्व प्रथम तो रामनवमी में झंडे निकलने की प्रथा महावीर चौक स्थित महाबीर मंडल और स्थानीय
राँची के तमाम अखडेधारिओं के द्वारा महाबीर चौक में केंद्रीय मंडल का गठन हुआ जो नवमी को सभी झंडेधारिओं के जुलूस को व्यवस्थित रूप से लेकर ओवर ब्रिज के नीचे स्थित महावीर मंदिर तक जाती थी जहाँ तक डोरंडा मार्ग के भी सारे झंडेधारी पहुचते थे,,फिर सृंगार समिति का गठन हुआ जो अष्टमी को झांकी प्रतियोगता,बिजली की सजावट और सस्त्र संचालन प्रतियोगिता का आयोजन करती थी,,,
महावीर मंडल की अपनी सविंधान है,और एक सर्वोच्च समिति भी है तथा सभी की जवाबदेही वार्षिक आम सभा के प्रति है ! जिसमें हर साल के बजट,और खर्च का अंकेक्षित रिपोर्ट पेशकर पुरानी कमेटी को भंग कर आम सभा को जिम्मेवारी वापस की जाती है और आम सभा फिर अगले साल आयोजन हेतु कमेटी के प्रारूप पर जनमत हासिल कर चुकाया या मनोनयन हेतु प्रस्ताव पारित कर चुनाव कमिटी का गठन करती है,,
और ये सारे काम महावीर मंडन के केंद्रीय कमिटी के कार्यालय दुर्गा मंदिर बजरंगबली मंदिर के प्रांगण से हीं कालांतर से होती आई है,,
नियमतः जिन संदस्यो पदाधिकारियों को कोई भी शंका या विरोध रहा हो उसे मजबूती से आम सभा मे पेश करना चाहिए वो भी केंद्रीय कार्यालय में ना कि आम सभा से पहले किसी अन्य स्थान पर ,,
चुनाव पहले कर ली गयी , और कमिटी बाद में भंग की गई वो भी बिना आय- व्यय ब्योवरा दिए बिना,,दो स्थानों पर दो दिन में दो अलग अलग ग्रुप के द्वारा,,
और पूर्व अध्यक्ष को नए स्वघोषित अध्यक्ष के द्वारा प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर,,ऐसे सदस्यों के साथ जो विरोधी संस्थाओं में भी सदस्य और पदाधिकारी अभी भी बने हुए हैं,,धन्य हों श्री महावीर मंडल के
कर्ता-धर्ता ,और स्वीकर्ता,,
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