सत्य को जाने- भाग 5 ख
सभी बहन-भाइयों को मेरी राम राम। आज का दिन आप सभी के लिए आनंदमय व मंगलमय हो।
जीवन में संपूर्ण सफलता प्राप्त करने के लिए, इन चार शब्दों पर ध्यान देना होगा-(फर्स्ट लाइन)
अच्छी आदतें, नियमित आदतें (Clean Habits, Regular Habits)। (सेकंड लाइन)
भाग 5 ख /सीधा बैठने की आदत
हमें सदैव सीधा बैठना चाहिए। सीधा बैठने का तात्पर्य केवल कमर सीधी होना ही नहीं, गर्दन भी सीधी होनी चाहिए (सीधे बैठने का अर्थ है- आंखें सीधी, ठोड़ी (Chin) जमीन के समानांतर, कंधे पीछे, छाती आगे और पेट अंदर )।
हमारे शरीर का संचालन केवल प्राण से ही होता है क्योंकि प्राण निकलने के बाद ऑक्सीजन व भोजन काम नहीं आते। प्राण ही भोजन और ऑक्सीजन को विघटित (Explode) कर प्राण में बदलते हैं (प्राण को अंग्रेजी में Life Energy या Cosmic Energy कहते हैं )।
प्राण- वह ऊर्जा है जो समस्त ब्रह्मांड में फैली हुई है और इसी ऊर्जा से संसार के समस्त जीव-जंतु, कीड़े-मकोड़े, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे व मानव जीवन का संचार होता है।
भगवान शिव जो महायोगी है( उनके इस चित्र को ध्यान से देखें व भगवान बुद्ध के चित्र को भी देखें)। उनकी कमर व गर्दन सीधी है, कंधे पीछे हैं, छाती आगे व पेट पीछे है और उनके दोनों हाथ पेट के पास है। बैठने का केवल यही उचित तरीका है ( कभी हाथ आगे की ओर फैला कर नहीं बैठना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से कंधे झुक जाएंगे और हम सीधा नहीं बैठ पाएंगे)। स्वस्थ जीवन व दीर्घायु के लिए हमें जमीन पर इसी आसन में बैठना चाहिए। कुर्सी अंग्रेजों के लिए बनी है क्योंकि उन देशों में ठंड के कारण उनके घुटनों में लचक (Elasticity ) नहीं होती, इसलिए वह घुटने मोड़ नहीं सकते। परंतु हमारे देश की जलवायु गर्म है, हमारे घुटनों में लचक होती है। इसलिए हमे पद्मासन, अर्ध पद्मासन व बजरंग आसन में बैठने में कोई परेशानी नहीं होती।
नोट:- हमें कभी भी सुख-आसन में नहीं बैठना चाहिए (Sukh Aasan, is No Aasan )। क्योंकि इस आसन में हमारे शरीर का आधार छोटा हो गया और शरीर का ऊपरी भाग अर्थात मकान बड़ा हो गया। इसलिए मकान कमजोर होगा और देर तक नहीं चलेगा।
हर क्षण, मेरु शीर्ष (Medulla) द्वारा हमे प्राण ऊर्जा प्राप्त होती रहती है। मेरु शीर्ष से होकर प्राण हमारे मस्तिष्क में जाते है, वहां से यह ऊर्जा रीड की हड्डी के द्वारा पूरे शरीर में वितरित होती रहती है और हमारे जीवन का संचालन करती है। उदाहरण के रूप में, रीड की हड्डी को पानी का एक पाइप समझ ले। यदि पाइप टेढ़ा है तो पानी का निकास कम होग और पीछे से पानी कम आएगा। इसी प्रकार पाइप सीधा होने पर पानी का निकास ज्यादा होगा तो पीछे से पानी ज्यादा आएगा अर्थात कमर सीधी होने पर हमें प्राण ऊर्जा ज्यादा मिलती है (When Out Flow is Less, Inflow will be Less; When Out Flow is More, Inflow will be More )।
इस प्रकार सीधा बैठने से ऑक्सीजन की ज्यादा से ज्यादा मात्रा हमारे शरीर में जाती है और हमें स्वस्थ जीवन व दीर्घायु प्रदान करती है।
प्राण ऊर्जा भोजन पचाने में सबसे अधिक खर्च होती है, दूसरा क्रम देखने का है, तीसरा क्रम बोलने का है। अन्य काम जैसे सुनना, शारीरिक श्रम करना इत्यादि कामो में प्राण ऊर्जा बहुत कम खर्च होती है।
दिन भर किए गए कठिन परिश्रम के कारण हम थक कर सो जाते हैं। सोते समय भोजन पचाने मैं कहां प्राण शक्ति कम खर्च होती है, हम देख नहीं रहे होते, हम बोल भी नहीं रहे होते, इसलिए हमारी ऊर्जा का खर्च कम से कम होता है। परंतु प्राण ऊर्जा स्वाभाविक रूप से हमे पूरी रात मिल रही होती है। प्रातः काल उठने पर हमारी शरीर रूपी बैटरी फुल चार्ज हो जाती है और हम तरो- ताजा (Fresh) महसूस करते हैं ।
भगवान शिव व भगवान बुद्ध के चित्रों को फिर से देखिए । वे पद्मासन में बैठे हैं। पद्मासन, अर्ध-पद्मासन व बजरंग आसन में बैठने से शरीर का आधार (Base ) बड़ा होता है और शरीर का ऊपरी भाग अर्थात मकान छोटा हो जाता है।
आधार बड़ा होने पर मकान की आयु लंबी होती है अर्थात इस आसन में बैठने पर हम दीर्घायु प्राप्त करते हैं।
इस लेख के साथ भेजे गए वीडियो को हर हिंदू को अवश्य देखना चाहिए। हमारे मुसलमान भाई (मदरसे में प्राप्त अपनी कट्टर शिक्षा के कारण) हमारे हिंदुओं के हर काम का विरोध करते है अर्थात हम अपनी वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई का चित्र भी सार्वजनिक स्थान अर्थात पार्क में भी नही लगा सकते।
क्या हमारे हिंदू बहन-भाई अभी भी सोते रहेंगे, अन्याय सहन करते रहेंगे!!! जागो, जागो, हिंदू जागो !
अपने अधिकार को पहचानो, अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए कमर कस लो, वरना आगे महाकाल खड़ा है।
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