टाटा कम्युनिकेशन्स ने यूनेस्को वर्ल्ड
कॉन्फरेन्स में शुरू किया प्रोजेक्ट 'एस.एच.ई.'
महिलाओं में उद्यमशीलता शिक्षा, लैंगिक समानता और सामाजिक
भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए उठाया अगला कदम
2024 तक 10 लाख महिलाओं तक पहुंचने के
लिए द बेटर इंडिया के साथ सहयोग
मुंबई, भारत, मई 2021:
वैश्विक स्तर की डिजिटल इकोसिस्टम एनेबलर टाटा कम्युनिकेशन्स ने 'स्कूल ऑफ़ होप एंड एम्पावरमेंट' (एस.एच.ई.) शुरू करने की
घोषणा 2021 यूनेस्को
वर्ल्ड कॉन्फरेन्स ऑन एज्युकेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट में की। विभिन्न प्रकार के
मीडिया और कई हितधारकों के सहयोग से प्रभाव संचार करने की इस पहल एस.एच.ई. की रचना
द बेटर इंडिया के डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म के साथ मिलकर की गयी है। भारत के छोटे शहरों
की महिलाओं का उनके सपने पूरे करने में उत्साह वर्धन करना, उनको प्रेरणा, शिक्षा
और रोज़गार हेतु मदद देना और इस तरह से उनकी उद्यमशीलता के बीच आने वाली प्रमुख बाधाओं
को दूर करना इस पहल का उद्देश्य है। भारत में
बढ़ रही डिजिटल कनेक्टिविटी और साझेदारियों की शक्ति का लाभ उठाते हुए टाटा कम्युनिकेशन्स
समाज के उपेक्षित वर्गों की महिलाओं के साथ, उनके लिए
और उनके द्वारा बनाया गए एक सक्षम वातावरण का निर्माण करेगा ताकि यह महिलाएं स्वयं
को एक सफल और खुशहाल उद्यमी बना सकें। एस.एच.ई.
पहल में छह भागों में बटीं एक वीडियो सीरीज़ है जिसमें महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए
सहनी पड़ रही चुनौतियों को दर्शाया गया है।
मसलन महिलाओं के बारे में पुराने समय से चली आ रही धारणाएं, परिवार के प्रति कर्तव्य, आर्थिक और सामाजिक बाधाएं
और आत्मविश्वास का अभाव आदि कई बातों को इन फिल्म्स में शामिल किया गया है। इस वीडियो सीरीज़ के ट्रेलर को यूनेस्को कार्यक्रम
में प्रकाशित किया गया, जिसमें
झारखंड की एक ग्रामीण महिला उद्यमी हसरत बानो की असल जिंदगी को दिखाया गया है। यह सीरीज़
'हसरत' के नाम से द बेटर इंडिया
के यूट्यूब चैनल और वेबसाइट पर देखी जा सकती है। फिल्म
की किरदार हसरत बानो कहती है, "जब आप कोई व्यवसाय करना तय करते हैं तब आप महिला
है या पुरुष ये मायने नहीं रखता, बल्कि आपका दिमाग और आपकी सोच महत्वपूर्ण होती है। उद्यमी बनने
का सपना देखने वाली मुझ जैसी महिलाओं के लिए एस.एच.ई. बहुत ही अहम पहल है। इसके माध्यम
से हम इंटरनेट और फोन के द्वारा, नए कौशल सीखने, अपना व्यवसाय खोलने और आर्थिक रूप से स्वतंत्र
बनने की राह पर चल सकते हैं। यह पहल हमारे लिए स्थानीय स्तर पर अवसर निर्माण करती है
जिससे हमें व्यवसाय चलाने में मदद मिलती है। हम इस प्लेटफार्म के आभारी हैं और आशा
करते हैं कि ग्रामीण भारत की कई महिलाओं इसका लाभ उठाएंगी।"
सफलतापूर्वक
आगे बढ़ रही स्थानीय महिला उद्यमियों की इन मिसालों को टाटा कम्युनिकेशन्स सबके सामने
लाना और उन्हें अन्य प्रमुख संसाधनों के साथ-साथ व्यवसाय के लिए वित्तीय सहायता, संरक्षण और डिजिटल प्रशिक्षण
प्रदान करना चाहता है। अपनी सोच और संकल्पनाओं को साकार करने के लिए आवश्यक आर्थिक
स्वतंत्रता के पथ पर महिलाओं का समर्थन करना टाटा कम्युनिकेशन्स की इस पहल का लक्ष्य
है। द बेटर इंडिया के साथ-साथ कई अन्य प्रौद्योगिकी
और ज्ञान साझेदार इस पहल के कार्यान्वयन को और अधिक मजबूत करने में मदद करेंगे।कम से
कम 10 लाख महिलाओं को उद्यमी बनने के उनके सपनों को वास्तव में साकार करने की प्रेरणा
देना इस परियोजना का उद्देश्य है। पहले चरण में एस.एच.ई. का ध्यान झारखंड के धनबाद, बोकारो, पूर्व सिंघभूम, हज़ारीबाग़ और रांची के
परिनगरीय इलाकों में रहने वाली,
निम्न आय वर्गों की, 18 से 35 वर्ष की, महत्वाकांक्षी महिला उद्यमियों का सहयोग करने
पर रहेगा। रोज़गार के सीमित अवसरों वाले इस
क्षेत्र में पहल महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता के बीच आने वाली बाधाओं को दूर करेगी।
परियोजना के अगले दो चरणों में ओडिशा और बिहार की उद्यमी महिलाओं को शामिल किया जाएगा।
टाटा कम्युनिकेशन्स ने यूनेस्को वर्ल्ड
कॉन्फरेन्स में शुरू किया प्रोजेक्ट 'एस.एच.ई.'
महिलाओं में उद्यमशीलता शिक्षा, लैंगिक समानता और सामाजिक
भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए उठाया अगला कदम
मुंबई, भारत, मई 2021: वैश्विक स्तर की डिजिटल इकोसिस्टम एनेबलर टाटा कम्युनिकेशन्स ने 'स्कूल ऑफ़ होप एंड एम्पावरमेंट' (एस.एच.ई.) शुरू करने की घोषणा 2021 यूनेस्को वर्ल्ड कॉन्फरेन्स ऑन एज्युकेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट में की। विभिन्न प्रकार के मीडिया और कई हितधारकों के सहयोग से प्रभाव संचार करने की इस पहल एस.एच.ई. की रचना द बेटर इंडिया के डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म के साथ मिलकर की गयी है। भारत के छोटे शहरों की महिलाओं का उनके सपने पूरे करने में उत्साह वर्धन करना, उनको प्रेरणा, शिक्षा और रोज़गार हेतु मदद देना और इस तरह से उनकी उद्यमशीलता के बीच आने वाली प्रमुख बाधाओं को दूर करना इस पहल का उद्देश्य है। भारत में बढ़ रही डिजिटल कनेक्टिविटी और साझेदारियों की शक्ति का लाभ उठाते हुए टाटा कम्युनिकेशन्स समाज के उपेक्षित वर्गों की महिलाओं के साथ, उनके लिए और उनके द्वारा बनाया गए एक सक्षम वातावरण का निर्माण करेगा ताकि यह महिलाएं स्वयं को एक सफल और खुशहाल उद्यमी बना सकें। एस.एच.ई. पहल में छह भागों में बटीं एक वीडियो सीरीज़ है जिसमें महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए सहनी पड़ रही चुनौतियों को दर्शाया गया है। मसलन महिलाओं के बारे में पुराने समय से चली आ रही धारणाएं, परिवार के प्रति कर्तव्य, आर्थिक और सामाजिक बाधाएं और आत्मविश्वास का अभाव आदि कई बातों को इन फिल्म्स में शामिल किया गया है। इस वीडियो सीरीज़ के ट्रेलर को यूनेस्को कार्यक्रम में प्रकाशित किया गया, जिसमें झारखंड की एक ग्रामीण महिला उद्यमी हसरत बानो की असल जिंदगी को दिखाया गया है। यह सीरीज़ 'हसरत' के नाम से द बेटर इंडिया के यूट्यूब चैनल और वेबसाइट पर देखी जा सकती है। फिल्म की किरदार हसरत बानो कहती है, "जब आप कोई व्यवसाय करना तय करते हैं तब आप महिला है या पुरुष ये मायने नहीं रखता, बल्कि आपका दिमाग और आपकी सोच महत्वपूर्ण होती है। उद्यमी बनने का सपना देखने वाली मुझ जैसी महिलाओं के लिए एस.एच.ई. बहुत ही अहम पहल है। इसके माध्यम से हम इंटरनेट और फोन के द्वारा, नए कौशल सीखने, अपना व्यवसाय खोलने और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने की राह पर चल सकते हैं। यह पहल हमारे लिए स्थानीय स्तर पर अवसर निर्माण करती है जिससे हमें व्यवसाय चलाने में मदद मिलती है। हम इस प्लेटफार्म के आभारी हैं और आशा करते हैं कि ग्रामीण भारत की कई महिलाओं इसका लाभ उठाएंगी।"
सफलतापूर्वक आगे बढ़ रही स्थानीय महिला उद्यमियों की इन मिसालों को टाटा कम्युनिकेशन्स सबके सामने लाना और उन्हें अन्य प्रमुख संसाधनों के साथ-साथ व्यवसाय के लिए वित्तीय सहायता, संरक्षण और डिजिटल प्रशिक्षण प्रदान करना चाहता है। अपनी सोच और संकल्पनाओं को साकार करने के लिए आवश्यक आर्थिक स्वतंत्रता के पथ पर महिलाओं का समर्थन करना टाटा कम्युनिकेशन्स की इस पहल का लक्ष्य है। द बेटर इंडिया के साथ-साथ कई अन्य प्रौद्योगिकी और ज्ञान साझेदार इस पहल के कार्यान्वयन को और अधिक मजबूत करने में मदद करेंगे।कम से कम 10 लाख महिलाओं को उद्यमी बनने के उनके सपनों को वास्तव में साकार करने की प्रेरणा देना इस परियोजना का उद्देश्य है। पहले चरण में एस.एच.ई. का ध्यान झारखंड के धनबाद, बोकारो, पूर्व सिंघभूम, हज़ारीबाग़ और रांची के परिनगरीय इलाकों में रहने वाली, निम्न आय वर्गों की, 18 से 35 वर्ष की, महत्वाकांक्षी महिला उद्यमियों का सहयोग करने पर रहेगा। रोज़गार के सीमित अवसरों वाले इस क्षेत्र में पहल महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता के बीच आने वाली बाधाओं को दूर करेगी। परियोजना के अगले दो चरणों में ओडिशा और बिहार की उद्यमी महिलाओं को शामिल किया जाएगा।
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