संपूर्ण क्रांति दिवस 5 जून 1974 के बदले आज कुछ ज्यादा ही प्रसांगिक लग रही है।

संपूर्ण क्रांति दिवस 5 जून 1974 के बदले 

आज कुछ ज्यादा ही प्रसांगिक लग रही है

सिंहासन खाली करो कि जनता आती है ।





यह नारा राष्ट्रकवि दिनकर ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा देशभर में चलाए गए संपूर्ण क्रांति आंदोलन को गति पकड़ने के बाद दिया था ।

गुजरात में छात्रों ने मिट्टी तेल (किरोसिन तेल) के मूल्य में बेतहाशा वृद्धि के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था और उस वक्त के गुजरात के चिमन भाई पटेल सरकार बदल गई थी। इस आंदोलन को लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने भी समर्थन और सहयोग दिया था , उस वक्त फ्रांस में भी छात्रों का जबरदस्त आंदोलन चल रहा था और उस आंदोलन ने भी भारत के छात्रों को प्रभावित किया था हालांकि उस वक्त कम्युनिकेशन के माध्यम नगण्य था लेकिन भारत से 7382 किलोमीटर दूर फ्रांस के राजधानी पेरिस से भारत के छात्रों ने प्रेरणा ली थी ।

5 जून 1974 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में लाखों लोगों की भीड़ में संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था उस वक्त आंदोलन के मुख्य मुद्दे जो थे वह भ्रष्टाचार , महंगाई , बेरोजगारी , शिक्षा की गिरती अवस्था और तानाशाही इत्यादि प्रमुख थे। लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट भी आंदोलन का हिस्सा था ।

47 साल बाद आज संपूर्ण क्रांति कुछ ज्यादा ही प्रसांगिक लग रहा है देश आज दुनिया के देशों से प्रत्येक सूचांको में पिछड़ता ही जा रहा है मानव स्वतंत्रता के मामले में भारत 162 देशों में 111 स्थान पर है लोकतांत्रिक देशों में भारत लगातार पिछड़ता जा रहा है 2014 में भारत जहां 27 स्थान पर था आज 53 वें स्थान पर है और वह भी पूर्ण लोकतांत्रिक देशों के सूची से बाहर होकर दोषपूर्ण लोकतांत्रिक देशों की सूची में शामिल हो गया है ।

प्रेस की आजादी के मामले में दुनिया के 180 देशों में भारत 142 में स्थान पर पहुंच गया है मानव विकास इंडेक्स में भारत 189 देशों में 130 स्थान पर ग्लोबल टैलेंट इंडेक्स में भारत 132 देशों में 72 वा स्थान पर भ्रष्टाचार के मामले में भारत 180 देशों में 80 वा स्थान पर और एशिया में प्रथम स्थान पर, रिश्वतखोरी के मामले में भारत एशिया में प्रथम स्थान पर, 39% घूसखोरी का दर भारत में है बेरोजगारी की मार से 26 नौजवान प्रतिदिन आत्महत्या कर रहे हैं श्रम मंत्रालय के रिपोर्ट के अनुसार 550 लोग नौकरी से प्रतिदिन हाथ धो रहे हैं भुखमरी के इंडेक्स में भारत 107 देशों में 94 स्थान पर है और एशिया में प्रथम स्थान के साथ भारत के सभी पड़ोसी देश भुखमरी के मामले में भारत से अच्छी स्थिति में हैं मात्र 13 देश ही भारत से पीछे हैं ।

मोदी के शासनकाल में इस मामले में भारत लगातार पिछड़ता जा रहा है 2014 में भारत जहां 55 वें स्थान पर था 2019 में 102 वें स्थान पर आ गया इस तरह दुनिया का कोई भी इंडेक्स में भारत की स्थिति अच्छी नहीं है और चिंता का विषय यह है कि भारत लगातार पिछड़ता जा रहा है ।

देश के अन्नदाता आज लाखों की संख्या में मोदी सरकार द्वारा 1 साल पहले ठीक 5 जून को ही कृषि से संबंधित 3 जो कानून अध्यादेश के माध्यम से लाई थी उसके विरोध में 6 माह से अधिक समय से लगातार सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं पुरुष किसान आंदोलन कर रहे हैं तो उनकी महिलाएं खेती और कृषि व्यवस्था को संभाली हुइ हैं।

भ्रष्टाचार का यह आलम है कि महामारी में भी लोगों को जान बचाने के लिए जो भारत सरकार ने लगभग ढाई हजार करोड़ की लागत से वेंटिलेटर खरीदी है उसमें अधिकांश नकली है और वह काम नहीं कर रहा है यह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है लगता है। प्रेस की आजादी के मामले में भारत दुनिया में शर्मसार हो रहा है। आज विरोधी पक्ष के राजनेताओं पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की बोलती बंद करने के लिए राजद्रोह जैसे मुकदमा चलाया जा रहा है हालांकि सरकार द्वारा दर्ज राष्ट्रद्रोह के मामले न्यायालय में टिक नहीं पाते और न्यायालय बार-बार सरकार को फटकार लगाते हुए कहती है कि यह अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात है और यहां तक की राष्ट्रद्रोह की धारा 124 पर न्यायालय विस्तार से विचार कर रही है। भारतीय प्रशासनिक सेवा एवं पुलिस सेवा के अधिकारियों को भयभीत किया जा रहा है और मोदी सरकार के इच्छा अनुरूप कार्य नहीं करने वाले अधिकारियों को बगैर राज्य सरकार के परामर्श के सीधे भारत सरकार वापस ले ले रही है और लगातार प्रताड़ना की करवाई कर रही है ।

यह फेहरिस्त बहुत लंबी है लेकिन देश आज फिर एक लोक नायक के प्रतीक्षा में है और संपूर्ण क्रांति आंदोलन के आवश्यकता महसूस कर रही हैं ।संपूर्ण क्रांति के जनक भारत रत्न से सम्मानित लोकनायक जयप्रकाश नारायण को इस कृति के लिए शत शत नमन । मनोहर कुमार यादव पूर्व प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी पार्टी झारखंड

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